अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली का डाटा चोरी होने के बाद हर कोई रैमसमवेयर अटैक और हैकरों से डरा हुआ है। ऐसे में हर व्यक्ति के मन में यही सवाल है कि उसका डाटा कितना सुरक्षित है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग का कहना है कि इंटरनेट से जुड़ा कोई भी डाटा सौ प्रतिशत सुरक्षित नहीं है। हालांकि सुरक्षा उपकरणों और तकनीक से सुरक्षा की जा सकती है।
हैकर हर दिन एक व्यक्ति और संस्थाओं को 10 से 15 संदेश और वायरस भेजते हैं। ये तो एक खतरा है ही, इससे बड़ी समस्या तो निजी तौर पर सरकारी विभागों की वेबसाइट की है। उसमें वेबसाइट बनाने वाले तो हिमाचल के हैं, लेकिन उनके प्रमुख विदेशी हैं। डाटा का सर्वर कहां है और किसके नियंत्रण में है, यह सबसे बड़ा सवाल है। यहीं से लापरवाही हो रही है और डाटा चोरी हो रहा है। राज्य दंत स्वास्थ्य सेवाओं की वेबसाइट करीब दो वर्ष पूर्व हैक हुई थी और उसे बंद कर दिया गया। आज तक वेबसाइट नहीं चली है। अब डेंटल काउंसिल की साइट से काम चलाया जा रहा है।
हैकरों से सुरक्षा के लिए अपनाएं ये उपाय
हैकरों से सुरक्षा के लिए फायरवाल और अन्य सुरक्षा टूल जरूरी है।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन आती भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम हर अपडेट देती है। इसका हमें पालन करना चाहिए।
किसी भी वेबसाइट को खोलने से पहले उसकी जांच करना जरूरी है।
मोबाइल और लैपटाप, डेस्कटाप, टैबलेट का सॉफ्टवेयर अपडेशन जरूरी है।
इसके अलावा इस प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए इंटरनेट से सीधे किसी बाहरी को प्रवेश की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। इंटरनेट से आने वाला डाटा अलग रखा जाए। इससे काफी हद तक अपने डाटा को सुरक्षित रखा जा सकता है।