शिमला। जिला कांगडा की एक अदालत में तत्काालीन विधायक व अब मंत्री राकेश पठानिया के खिलाफ विभिन्नज धाराओं के तहत चल रहे मुकदमे एक जिला न्यायवादी सरकार की ओेर से पैरवी कर रहा था उसने पठानिया से ही डीओ नोट लेकर अपना तबादला करा लिया है। यह भंडा फोड प्रदेश में नगरोटा बगवां से भाजपा विधायक अरुण कुमार के डीओ नोट पर जिस दूसरे जिला न्ययवादी ने अपना तबादला करवाया था उसने अदालत में किया है।
पठानिया व अरुण कुमार दोनों ही भाजपा विधायक हैं। इन दोनों न्यायवादियों ने भाजपा विधायकों से डीओ नोट लेकर तबादले कराने का फायदा उठाया व इसे प्रदेश उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए दोनों जिला न्यायवादियों का तबादला जिला कांगडा से बाहर कराने के आदेश जारी कर दिए है व तत्काल प्रभाव से विधायक, मंत्रियों व किसी भी तरह के अन्य डीओ नोट पर जिला न्यायवादियों व अतिरिक्त् न्याायवादियों के तबादला करने पर पांबदी लगा दी है।
प्रदेश उच्चा न्यायलय के रिकार्ड पर यह सब आने के बाद यह आदेश प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तिरलोक सिंह चौहान और न्याायमूर्ति चंदर भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने जारी कर प्रदेश में जयराम सरकार के कारगुजारियों को भी उजागर कर दिया है।
अदालत ने टिप्प णी की कई जिला न्यायवादी कुछ नेताओं से मिलीभगत कर अपने तबादले करवा रहे है।
यह मामला जिला न्यायवादी तरसेम कुमार व जिला न्याायवादी शिखा राणा के बीच का है। तरसेम कुमार ने अपने तबादला आदेश के खिलाफ अदालत में चुनौती दी थी। तरसेम कुमार ने अपनी याचिका में कहा था कि शिखा राणा ने नगरोटा बगवां से भाजपा विधायक अरुण कुमार से 15 मार्च 2022 को डीओ नोट लेकर तबादला करा दिया था।
इसके जवाब में शिखा राणा ने अदालत में जवाब दिया कि तरसेम कुमार का 2018 में नूरपूर से डलहौजी के लिए तबादला हो गया था। लेकिन उसने पठानिया का डीओ नोट लेकर अपना तबादला रदद करवा लिया। शिखा राणा ने आगे भंडा फोड करते हुए कहा कि तरसेम कुमार ने 15 जनवरी 2020 को पठानिया से डीओ नोट लेकर अपना तबादला नूरपूर से कांगडा के लिए करवा लिया । जबकि पठानिया के खिलाफ नूरपूर की अदालत में भारतीय दंड संहिता की धारा 452,147, 149,353,332, 506 और सर्वजनिक संपति को नुकसान पहुंचाने के अधिनियम की धारा 3 के तहत ज्यू0डिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्ला स के समक्ष मामला चला हुआ था व तरसेम कुमार इस मामले में सरकार की ओर से पठानिया के खिलाफ पैरवी कर रहे थे व मामले के प्रभारी थे। इसी बीच उन्हों ने पठानिया से अपने तबादले को लेकर डीओ नोट ले लिया और तबादला करा लिया।
उधर शिखा राणा के तबादले को लेकर डीओ नोट देने वाले भाजपा विधायक अरुण कुमार ने अदालत में जवाब दिया कि शिखा राणा उनके विधानसभा हलके से नहीं है लेकिन उनके पति दिल के रोगों के विशेषज्ञ है। राणा का दो साल का बच्चा था इसलिए उनके पति को बच्चे के देखभाल को लेकर एक जगह रहने की जरूरत थी। चूंकि वह उनके हलके में बतौर डाक्टर तैनात थे व पति पत्नी के दूर –दूर रहने से उनके हलके के मरीजों को दिककत आ रही थी । इसलिए उन्होंने राणा के तबादले को लेकर डीओ दिया था।
अदालत ने कहा कि जिस विधायक के खिलाफ जिला न्यायवादी मुकदमा लड रहा था उसी से डीओ ले रहा थ। खंडपीठ ने हैरानी जताते हुए टिप्पाणी कि इतना स्तर गिर जाने के बाद जिला न्यायवादियों पर जनता का भरोसा कायम रह पाएगा । जनता जिला न्यायवादियों से निष्पक्ष पैरवी की उम्मीद कैसे कर सकती है।
अदालत ने कहा कि जिला न्यायवादियों से न्यायिक अधिकारियों से कम के रवैये की उम्मीद नहीं की जा सकती है। यह लोग राजनेताओं से मिलीभगत और जनता से ज्यांदा घुलमिल नहीं सकते है।खंडपीठ ने कहा कि सुनवाई के दौरान इन दोनों ने विभााग की कार्यप्रणाली व कार्यनिष्ठािओं व आचारश्रेष्ठता को लेकर अपनी अनभिज्ञता दर्शाई ।
खंडपीठ ने आदेश दिए कि जिन न्या्यवादियों का सेवाकाल पंद्रह साल या उससे ज्यादा हो चुका है न्यायवादियों की आचर श्रेष्ठाता, नैतिकता और उनसे किस तरह के आचरण की अपेक्षा है इस बावत प्रदेश न्यायिक अकादमी शिमला, घंडल में रिफ्रैशर कोर्स कराया जाए। इस कोर्स के पाठयक्रम को डिजायन करने के लिए अदालत ने अकादमी के निदेशक को आदेश भी जारी किए हैं व कहा है कि वह चार सप्ताह में इस पाठयक्रम को तैयार कर दें और इसके बाद इन न्यायवादियों को दो महीने का प्रशिक्षण बैच बाइज आधार पर करवाएं।