लहसुन की फसल
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर की मुख्य व्यावसायिक फसल लहसुन रोग की चपेट में आ गई है। फसल को पीला रतुआ रोग लगने की आशंका है। कई जगह फसल पीली पड़ने लगी है तो कहीं पत्ते गलने और बल्व में कीड़ा लगने की शिकायतें विभाग को मिल रही हैं। ऐसे में लहसुन के उत्पादन पर असर पड़ सकता है। मौजूदा समय में जिला सिरमौर में 4,000 हेक्टेयर भूमि पर लहसुन का उत्पादन किया जा रहा है। इस साल 60,000 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
माना जा रहा है कि बार-बार एक ही खेत में लहसुन उगाने से मिट्टी के पोषक तत्व फसल को नहीं मिल रहे हैं। फसल चक्र के अनुसार खेती न किए जाने का असर भी फसल पर पड़ रहा है। कहीं सूखे की मार से भी फसल प्रभावित हो रही है। कृषि विभाग को लानाचेता और नौहराधार इलाकों से फसल को रोग लगने की शिकायतें मिली हैं। लिहाजा, विभाग ने टीम गठित कर इन क्षेत्रों में भेज दी है। कई जगह रोग के चलते खेतों में फसल गलने लगी है। ऐसे में फसल पर संकट पैदा हो गया है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में लहसुन का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है।
दक्षिण भारत सिरमौरी लहसुन की सबसे बड़ी मंडी
जिला सिरमौर में उगाए जाने वाले हाईब्रीड लहसुन की दक्षिण भारत के तमिलनाडु के बडूगा पट्टी, कोच्ची जैसी बड़ी मंडियों में सबसे ज्यादा मांग है। वहीं नेपाल व थाइलैंड को भी यहां का लहसुन निर्यात होता आया है।
ये हैैं लहसुन के लाभ
हिमाचल का लहसुन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। यहां के लहसुन में एंटी आक्सीडेंट प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। सोडियम, फाइबर, विटामिन सी, मैगनीस, विटामिन बी-6 भी लहसुन में पाया जाता है। लानाचेता और नौहराधार क्षेत्र से कुछ किसानों की विभाग को रोग संबंधी शिकायत मिली हैं। टीम मौके पर भेजी गई है। सूखे का असर भी फसल पर पड़ रहा है। कई जगह फसल पीला रतुआ की चपेट में आई है। वैज्ञानिकों से रिपोर्ट एकत्र की जा रही है।