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Weather Alert: पूरे उत्तर भारत में घने कोहरे से रेल-सड़क यातायात प्रभावित, IMD का इन राज्यों के लिए येलो अलर्ट

धीरे- धीरे ठंड ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। दिल्ली समेत कई राज्यों में बढ़ती ठंड और घने कोहरे का प्रकोप देखा जा रहा है । पूरे उत्तर भारत पर घने कोहरे और धुंध की चादर छाई हुई है। रविवार के रात से ही यूपी समेत पूरे उत्तर भारत में विजिबिलिटी खासी कम देखने को मिली। दिल्‍ली-एनसीआर समेत उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और हरियाणा तक कोहरे की मार देखने को मिल रही है।

इन सभी राज्यों में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)ने ‘येलो’ अलर्ट जारी किया है। IMD के अनुसार हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्‍ली और पूर्वी-पश्चिमी राजस्थान में शीतलहर चलेगी। दिल्‍ली-एनसीआर, यूपी और पंजाब-हरियाणा में पूरे हफ्ते घने कोहरे का अलर्ट है। वहीं आने वाले दिनों में ठंड और बढ़ने का अनुमान है। कोहरे की वजह से विजिबिलिटी और कम हो सकती है।

आईएमडी के अनुसार, बहुत घना कोहरा तब होता है जब दृश्यता 0 और 50 मीटर के बीच होती है, 51 और 200 घनी होती है, 201 और 500 मध्यम और 501 और 1,000 कम होती है।

शीतलहर पर मौसम विभाग की चेतावनी

IMD ने पूर्वानुमान में कहा है कि यूपी में 22 दिसंबर तक शीतलहर की स्थिति रहेगी। मौसम विभाग ने ‘येलो’ अलर्ट जारी किया है। कुछ जगहों पर घना कोहरा रह सकता है। वहीं, दिल्‍ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पूर्वी और पश्चिमी यूपी में भी 22 दिसंबर तक कुछ जगहों पर बेहद घना कोहरा देखने को मिल सकता है।

कैसे कैसे होते हैं कोहरे

कोहरा एक प्राकृतिक स्थिति है जो कई तरह की होती है, जैसे समुद्र की सतह पर होने वाला कोहरा जिसे सी-फॉग कहते हैं। कई बार कोहरा एकदम से घना होता है और फिर तुरंत ही गायब हो जाता है, इसे फ्लेश फॉग कहते हैं। ये फॉग हवा में नमी और तापमान की वजह से अचानक आकर चला जाता है।

फॉग और स्मॉग में क्या है अंतर

कोहरा यानी फॉग और धुंध यानी स्मॉग/मिस्ट में अंतर है। कोहरे के धुएं के साथ मिलने पर धुंध यानी स्मॉग बनता है। साल 1905 में स्मॉग शब्द चलन में आया जो अंग्रेजी से फॉग और स्मोक से मिलकर बना है। डॉ हेनरी एंटोनी वोयेक्स ने अपने पेपर में इसका जिक्र किया, जिसके बाद से ये टर्म कहा-सुना जाने लगा।

स्मॉग के फॉग से ज्यादा खतरे हैं। इसमें पानी की बूंदों के साथ धूल और हवा में मौजूद जहरीले तत्व जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड और ऑर्गेनिक कंपाउंड मिलकर नीचे की तरफ ओजोन की गहरी परत बना लेते हैं। अब आप सोचेंगे कि ओजोन तो हमें अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने वाली अच्छी परत है तो यह जान लें कि ओजोन तभी तक ठीक है जब वातावरण में ऊपर की ओर हो, जैसे ही यह ग्राउंड-लेवल पर आती है, सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो जाती है।

 

 

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