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AIMS बिलासपुर में गर्भाशय ग्रीवा में होने वाले कैंसर के इलाज की मिलेगी सुविधा

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AIMS बिलासपुर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर में गर्भाशय ग्रीवा में होने वाले कैंसर के इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ विभाग में जल्द ही लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा शुरू हो जाएगी। एम्स में उपकरण पहुंच गए हैं। इन्हें स्थापित किया जा रहा है। एम्स प्रबंधन के अनुसार आगामी कुछ माह में कोलपोस्कोपी एंड डायरेक्ट सर्जरी भी शुरू हो जाएगी। इसमें महिलाओं के गर्भाशय में होने वाले कैंसर का पता लगाया जाता है और अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से इसका इलाज किया जाता है। इसके अलावा जून तक एमनियोसेंटेसिस, जेनेटिक परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है। इसमें गुणसूत्र की असामान्यता का पता लगाया जाता है। साथ ही इन विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन भी शुरू हो जाएगा। एम्स के उप निदेशक ले. कर्नल राकेश कुमार ने बताया कि इस दिशा में प्रबंधन आगे बढ़ रहा है। निकट भविष्य में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ विभाग में सुपर स्पेशलाइजेशन कोर्स शुरू किए जाएंगे।

विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर पूजन ने बताया कि उनका विभाग जल्द ही लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा देगा। इसके अलावा कुछ माह में कोलपोस्कोपी एंड डायरेक्ट सर्जरी भी शुरू हो जाएगी। इसमें महिलाओं के गर्भाशय में होने वाले कैंसर का पता लगाया जाएगा। आईजीएमसी शुरू करेगा वाटरलेस यूरिनल की सुविधा हिमाचल में पहली दफा किसी सरकारी संस्थान में वाटरलेस यूरिनल की सुविधा होगी। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) शिमला इस सुविधा को शुरू करने जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत वाटरलेस यूरिनल के लिए बने पॉट इमरजेंसी के बाहर बने शौचालय में लगाए जाएंगे। आईजीएमसी प्रबंधन का दावा है कि अस्पताल में बर्बाद होने वाले पानी की बचत होगी। इसके अतिरिक्त नियमित तौर पर पानी से शौचालयों की सफाई करने के बाद जिस तरह की दुर्गंध आती थी, वह भी खत्म हो जाएगी। हिमाचल में अब तक किसी भी सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में वाटरलेस यूरिनल की सुविधा नहीं है। लेकिन अब पहली मर्तबा आईजीएमसी में यह वाटरलेस यूरिनल लगाए जाएंगे। बताया जा रहा है कि इमरजेंसी में जो सेटअप बना है, उसी में यह पॉट फिट होंगे। इसके अलावा इसे साफ करना भी काफी आसान है। बताया जा रहा है कि कर्मी दिन में दो बार लिक्विड काे स्प्रे के जरिये इसे साफ करेंगे। दावा किया जा रहा है कि इस वाटरलेस यूरिनल से 96 फीसदी पानी की बचत होगी।

वाटरलेस यूरिनल लगाना नया प्रयोग है। ट्रायल के तौर पर इसे शुरू किया जाएगा। उम्मीद है कि यह प्रयोग सफल होगा। इसके बाद ही इसे अल्ट्रासाउंड और ट्रामा ब्लॉक में जहां इसकी ज्यादा जरूरत है, वहां पर लगाया जाएगा। – डॉ. राहुल राव, आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक

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