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रेयर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां होंगी सस्ती 

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रेयर बीमारियों के इलाज

भारत सरकार ने नेशनल रेयर डिजीज पॉलिसी 2021 के तहत लिस्टेड सभी रेयर बीमारियों के इलाज के लिए इंपोर्टेड दवाओं और स्पेशल फूड पर बेसिक कस्टम ड्यूटी खत्म कर दी है। इससे देश के उन लोगों को काफी राहत मिलेगी, जिनके परिवार का कोई मेंबर रेयर बीमारी से पीड़ित है। कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली पेम्ब्रोलिजुमाब (कीट्रूडा) पर भी सरकार ने छूट दी है।

दवाएं या स्पेशल फूड काफी ज्यादा महंगे

इन बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं या स्पेशल फूड काफी ज्यादा महंगे होते हैं। इन्हें इंपोर्ट भी करना पड़ता है। मंत्रालय ने कहा कि यह अनुमान है कि 10 किलोग्राम वजन वाले बच्चे के लिए कुछ क्रिटिकल बीमारियों के इलाज की एनुअल कॉस्ट 10 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए प्रति वर्ष से ज्यादा हो सकती है। इसमें ट्रीटमेंट जीवनभर चलता है।

छूट लेने के लिए प्रमाण पत्र होना जरूरी

इस छूट का फायदा उठाने के लिए, इंडिविजुअल इंपोर्टेर को सेंट्रल या स्टेट डायरेक्टर हेल्थ सर्विस या डिस्ट्रिक्ट मेडिकल ऑफिसर/सिविल सर्जन से एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।

अप्रैल से पेनकिलर्स समेत ये दवाएं महंगाई होंगी

उधर, अप्रैल से पेनकिलर्स, ऐंटी-इन्फेक्टिव्स, ऐंटीबायोटिक्स और दिल की दवाएं महंगी होने जा रही हैं। सरकार ने ड्रग कंपनियों को कीमतें बढ़ाने की अनुमति दे दी है। कीमतें होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) में बदलाव के आधार पर बढ़ेंगी।

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) की जॉइंट कमिश्नर रश्मि टहलियानी ने कहा, 2021 की तुलना में थोक मूल्य सूचकांक में सालाना 12.12% का बदलाव हुआ है। इससे 27 बीमारियों के इलाज के 900 फॉर्मूलेशन से जुड़े 384 मॉलेक्यूल की कीमतें 12% बढ़ने की संभावना है।

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