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अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रतिनिधि मंडल ने आज विभिन्न लंबित शिक्षक समस्याओं को लेकर यूजीसी अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदेश कुमार से विस्तृत भेंटवार्ता की

इस संबंध में जानकारी देते हुए महासंघ के अतिरिक्त महामंत्री प्रोफेसर नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि लगभग 2 घंटे से अधिक चली वार्ता में यूजीसी रेगुलेशन 2018 को देशभर में एक समान रूप से लागू करने, विसंगति निवारण समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर रेगुलेशन की कमियों को दूर करने तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु उच्च शिक्षा संस्थानों में समुचित आधारभूत संरचना विकसित करने और रिक्त पदों को प्राथमिकता से भरने जैसी समस्याओं के संबंध में महासंघ द्वारा जमीनी वास्तविकताओं को बताते हुए उनके शीघ्र समाधान की मांग की गई ।

महासंघ के उपाध्यक्ष प्रोफेसर प्रज्ञेश शाह ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के विपरीत कुछ राज्य सरकारों द्वारा काॅमन यूनिवर्सिटी एक्ट लागू करने, फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में कुछ संस्थाओं द्वारा यूजीसी के प्रावधानों के विपरीत फीस वसूलने पर आपत्ति व्यक्ति की गई और इस संबंध में यूजीसी द्वारा प्रभावी कार्रवाई करने की मांग की गई । इसके साथ ही सेवारत शिक्षकों को पीएचडी कोर्स वर्क से छूट देने अथवा इस हेतु सवैतनिक अवकाश की व्यवस्था करने तथा उनके लिए पीएचडी की पर्याप्त सीटों को आरक्षित करने की जरूरत को भी तथ्यों के साथ यूजीसी अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया गया ।

महासंघ की सचिव प्रोफ़ेसर गीता भट्ट ने बताया कि कैरियर एडवांसमेंट योजना में पदोन्नत पद पर अनुभव को पात्रता तिथि से गिने जाने, कॉलेज प्राचार्य के कार्यकाल को सेवानिवृत्ति तक बढ़ाने, यूजीसी रेगुलेशन के खंड 6.3 में ‘एक्टिव सर्विस’ पद को स्पष्ट करने, विश्वविद्यालय शिक्षकों के एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर पद पर पदोन्नति के संबंध में कुछ विश्वविद्यालय द्वारा दिनांक 3 मार्च 23 के यूजीसी नोटिस की भ्रामक व्याख्या के संबंध में स्पष्टीकरण जारी करने तथा मेजर और माइनर शोध प्रोजेक्ट की व्यवस्था को पुन: प्रारंभ करने संबंधी समस्याओं को विस्तार से रखा गया ।

महासंघ के सहसचिव प्रोफेसर प्रदीप खेड़कर ने बताया कि फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत रिफ्रेशर/ओरियंटेशन कोर्स आदि हेतु यात्रा और दैनिक भत्ते की व्यवस्था करने, पीएचडी हेतु सवैतनिक अवकाश एवं राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में अपने शोध कार्य को प्रस्तुत करने हेतु ट्रैवल ग्रांट की व्यवस्था को प्रारंभ करने , पोस्ट डॉक्टरल शोध को कैरियर एडवांसमेंट में पदोन्नति के लिए गिने जाने, स्नातक महाविद्यालयों को पीएचडी हेतु शोध केंद्र के रूप में मान्यता देने तथा पुस्तकालयाध्यक्ष,शारीरिक शिक्षा निदेशक आदि अन्य अकादमिक स्टाफ की सेवा शर्तें शिक्षकों के समान करने की पुरजोर मांग महासंघ की तरफ से की गई ।

यूजीसी अध्यक्ष ने सभी विषयों को गंभीरता से सुना और समझा तथा कुछ मामलों में यूजीसी की तरफ से हो रही कार्यवाही से संगठन का अवगत कराया । उन्होंने विश्वास दिलाया कि महासंघ ने जो भी विषय उठाए हैं, उन पर संबंधित अधिकारियों एवं शिक्षा मंत्रालय से चर्चा कर शीघ्र ही समुचित निर्णय लेंगे । प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें शैक्षिक मंथन का नवीनतम अंक भी भेंट किया ।

भेंटवार्ता में शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, सहसंगठन मंत्री जी लक्ष्मण , वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेंद्र कुमार तथा यूजीसी के संयुक्त सचिव एन गोपकुमार भी शामिल रहे ।

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