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48 हजार महिलाओं को तीन महीने के मिले 4500

हिमाचल में कांग्रेस सरकार की इंदिरा गांधी प्यारी बहना योजना को अब पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होते ही राज्य सरकार ने पहली तिमाही के 23 करोड़ जारी करने का निर्णय दो दिन पहले लिया था। अब सभी 12 जिलों में करीब 48000 पात्र महिलाओं को तीन महीने के 4500 रुपए खाते में डाल दिए गए हैं। अकेले मंडी जिला में ही 3100 महिलाओं को अप्रैल में और जून माह की पेंशन ट्रांसफर हुई है। जून की पेंशन एडवांस में इसलिए ट्रांसफर की गई है, क्योंकि ईसोमसा यानी एंपावरमेंट ऑफ एससी, एसटी, माइनारटीज एंड स्पेशली एबल्ड विभाग अपनी पेंशन क्वार्टर के हिसाब से जारी करता है। अब अगली तिमाही यानी जुलाई, अगस्त और सितंबर की पेंशन एक साथ जारी की जाएगी। राज्य सरकार ने 16 मार्च, 2024 तक आए आवेदनों में से 48000 महिलाओं को इंदिरा गांधी प्यारी बहना योजना के तहत यह धनराशि देने के लिए 23 करोड़ का बजट जारी किया है।

अब ईसोमसा विभाग की तरफ से जिला कल्याण अधिकारियों ने पूरे प्रदेश में 48000 महिलाओं को तीन महीने के पैसे एक साथ खाते में ट्रांसफर कर दिए हैं। अब पूरे प्रदेश में लाहुल-स्पीति को मिलाकर 48000 महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए मिलना शुरू हो गए हैं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह वादा किया था कि बेशक आचार संहिता के कारण यह पेंशन नहीं दी जा सकी है, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद पिछला एरियर भी एक साथ देंगे। उनके इसी वादे के अनुसार विभाग ने एक साथ तीन महीने के पैसे ट्रांसफर किए हैं। राज्य सरकार की ओर से मंजूर की गई स्कीम में पूरे प्रदेश में पांच लाख महिलाओं को यह पेंशन देने का फैसला लिया गया है। इसमें से अभी 48000 महिलाओं के लिए पैसे ट्रांसफर हुए हैं और बाकी महिलाओं का चयन अब नए आवेदनों में से होगा।

वित्त विभाग से जारी आदेश पर भी सवाल

पात्र महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने को लेकर वित्त विभाग के ट्रेजरी विंग से जारी किए गए आदेशों पर सवाल उठ रहे हैं। इन आदेशों में कहा गया है कि संबंधित विभाग के डीडीओ एडवांस के तौर पर यह राशि निकालें और आगे लाभार्थियों को ट्रांसफर करें। इससे विभाग के आहरण एवं वितरण अधिकारी यानी डीडीओ के लिए भी दिक्कत है। रेगुलर बजट के बजाय एडवांस में निकल गए पैसे का बाद में हिसाब देना होता है। दूसरी तरफ यह स्कीम भी अलग-अलग धनराशि की है। इसमें लाभार्थी समूह भी अलग-अलग बनेंगे। डीडीओ को अंदेशा है कि बाद में उनसे कोई जवाबदेही न हो।

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