धर्मशाला के भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने बिजली बोर्ड में खरीद प्रक्रिया को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं और टेंडर प्रक्रिया को कटघरे में खड़ा किया है, जिस पर बिजली बोर्ड ने कहा है कि उनके द्वारा जो भी आरोप लगाए गए हैं, वे तथ्यों से परे हैं। यह केवल भ्रामकता फैलाने के लिए किया गया है, जबकि सच्चाई कुछ और है। बिजली बोर्ड चेयरमैन संजय गुप्ता ने इन आरोपों को सिरे से नकारा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए सुधीर शर्मा ने जो आरोप लगाए हैं, वे सही नहीं हैं। यह निविदा आईबीआरडी द्वारा पोषित परियोजना में विद्युत आपूर्ति में सुधार के अंतर्गत सोलन, परवाणू, बद्दी, नाहन एवं पांवटा साहिब शहर में स्मार्ट ग्रिड तकनीक को अपनाने संबंधित है। संजय गुप्ता ने स्पष्ट किया है कि निविदा के संबंध में निर्णय हाल ही संपन्न हुई निदेशक मंडल की बैठक में सभी सदस्यों के इस मामले में विस्तृत चर्चा के बाद ही पूरी तरह सोच-समझ कर सभी सदस्यों के बहुमत से लिया गया है।
बैठक में एक सदस्य, विशेष सचिव वित्त ने इस मामले में कुछ आपत्तियां जताई थीं, जिसके बारे में सदस्य को विस्तृत जानकारी बैठक के दौरान प्रदान कर दी गई थी और इस प्रस्ताव को सात-एक के बहुमत से ही पारित किया गया है और प्रस्ताव की पूरी जानकारी बैठक की कार्रवाई में प्रदान की गई है। 175 करोड़ रुपए की निविदा को 245 करोड़ रुपए में आबंटित करने के आरोप पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें 100 करोड़ की राशि कहां से आ गई, जबकि प्राइस इंडेक्स के अनुसार ही इस निविदा का मूल्य केवल 65 करोड़ रुपए ही बढ़ा है। इस निविदा में हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग एचपीआरसी की दरों पर इसकी कीमत वर्ष 2023.24 के लिए 224 करोड़ रुपए बनती है, जबकि वर्तमान वित वर्ष 2024.25 में यह निविदा 240 करोड़ की स्वीकृत की गई है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटरिंग से संबंधित निविदा में जहां निविदा का मूल्य दोगुना भी हो रहा है, वहां वित्त विभाग द्वारा कोई प्रश्न नहीं उठाया जा रहा है।