खबर आजतक, सोलन ब्यूरो
मशरूम अब स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी करेगी। खुंब अनुसंधान निदेशालय ने अब प्लास्टिक बैग की जगह बायोडिग्रेडेबल बैग में मशरूम तैयार करेगा। निदेशालय के विशेषज्ञों ने इसका सफल ट्रायल किया है। वहीं अब दूसरी फसल को तैयार करने पर काम शुरू कर दिया गया है। बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बैग का प्रयोग सिर्फ तीन माह तक ही होगा। इसके बाद इसे आम कूड़े की तरह फेंक भी सकेंगे। यह बैग आसानी से कूड़े में खत्म हो जाएगा और इसका पर्यावरण के लिए कोई खतरा नहीं होगा। शोध में खुलासा हुआ है कि प्लास्टिक और बायोडिग्रेडेबल पॉलीथिन दोनों में एक बराबर मशरूम की फसल आई है। एक फसल के बाद प्लास्टिक के बैग आसानी से नष्ट नहीं होते। जबकि यह बैग फसल देने के बाद आसानी से नष्ट भी हो जाएंगे। यह बैग बाजार में भी उपलब्ध है।
खाद में होगा तब्दील
अभी तक मशरूम के लिए प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करने के बाद ऐसे ही कूड़े में फेंक देते हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। जबकि बायोडिग्रेडेबल पॉलीथिन खुद नष्ट होकर खाद में तब्दील हो जाएगी। अगर इसे मिट्टी में दबा दिया जाए तो इसका इस्तेमाल खाद के रूप में बगीचों या फसलों में भी किया जा सकेगा। खुंब निदेशालय ने इस बैग में मशरूम तैयार करना शुरू कर दिया है।
कोट् पर्यावरण संरक्षण के लिए बायोडिग्रेडेबल बैग में मशरूम तैयार करना शुरू कर दिया है। यह बैग एक फसल के बाद आसानी से नष्ट हो जाता है। जबकि प्लास्टिक बैग को कई वर्ष लग जाते थे, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता था। लेकिन अब किसानों को भी इस बैग के प्रयोग को लेकर जागरू किया जा रहा है।डॉ. वीपी शर्मा, निदेशक खुंब अनुसंधान निदेशालय।