खबर आजतक, सिरमौर ब्यूरो
प्रदेशभर में खोले गए सरकारी संस्थान बंद करने से हजारों लोगों की दिक्कतें बढ़ गईं हैं। उन्हें घरद्वार पर मिलने वाली सुविधाओं से महरूम होना पड़ रहा है। सतौन में दशकों पुरानी मांग के बाद खुली उपतहसील बंद करने से ग्रामीण परेशान हो गए हैं। यहां नायब तहसीलदार की तैनाती भी हो गई थी और कामकाज को भी गति मिलने लगी थी। नई सरकार के सत्ता में आते ही इस संस्थान को बंद कर दिया। अब लोगों को फिर से कामकाज के लिए 12 किलोमीटर दूर कमरऊ तहसील के चक्कर काटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इससे सतौन और साथ लगती लगभग आठ पंचायतों की हजारों की आबादी प्रभावित हो रही है। पूर्व भाजपा सरकार ने सतौन उपतहसील सहित पांच पटवार सर्कल और दो कानूनगो कार्यालयों का उद्घाटन 11 अक्तूबर 2022 को किया था।
पंचायत घर में उपतहसील कार्यालय खोला गया। जहां नायब तहसीलदार ने भी पदभार संभाल लिया था। यहां लोगों को प्रमाण पत्र भी जारी होने लगे थे। ऐन वक्त पर नई सरकार ने अधिसूचना जारी कर इस कार्यालय समेत पटवार सर्कल व कानूनगो कार्यालय भी बंद कर दिए। ग्रामीणों को अब दोबारा राजस्व और अन्य कार्यों के लिए सतौन से कमरऊ तहसील जाना पड़ रहा है। नए खोले गए संस्थान से सतौन सहित भजौन, पोक्का, चांदनी, कठवार, सखौली, कोड़गा और कांटी मशवा पंचायत को लाभ मिलना था। चांदनी, पोक्का, कुनैर धमौन, कांटी मशवा और सखौली में पटवार सर्कल खोले गए थे। इसके अलावा भजौन और सतौन में कानूनगो दफ्तर खुले थे।
बहाल की जाए सुविधा
सतौन में उपतहसील खुलने से दूरदराज के गांव कठवार, कोड़गा, सखौली, पोक्का, धमौन जैसे कई गांवों को सुविधा मिली थी। इसे बहाल किया जाना चाहिए।- रजनीश चौहान, पूर्व प्रधान, सतौन पंचायत।
घरद्वार पर मिली सुविधा छीनी
पूर्व सरकार ने घरद्वार पर पटवार सर्कल और कानूनगो कार्यालय खोलकर राजस्व कार्य को सुविधाजनक बनाने का प्रयास किया था, जिसे वर्तमान सरकार ने पूरा नहीं होने दिया।- कुलदीप शर्मा, पूर्व उपाध्यक्ष पंचायत समिति।
अतिरिक्त सफर तय करना होगा
सतौन आठ-दस पंचायतों का केंद्र है। यहां राजस्व और अन्य कार्य करने के लिए पहुंचना सुविधाजनक है। अब ग्रामीणों को 12 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर करना पड़ रहा है।- दयाराम, ग्रामीण
बहाल करने पर विचार करे सरकार
सतौन में उपतहसील खोलने की दशकों पुरानी मांग थी। यहां इस कार्यालय की सख्त जरूरत है। सरकार को इस संस्थान को पुन: बहाल करने पर विचार करना चाहिए।- नरेश तोमर, ग्रामीण।