शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इन नवरात्र में माता की पूजा से खूब धन बरसेगा। शरद नवरात्र इस बार बेहद शुभ माने जा रहे हैं। माता की विधिवत पूजा से धन सुख समृद्धि मिलेगी। पहला नवरात्र शुक्ल पक्ष अश्विनी मां प्रतिपदा तिथि सोमवार से है। पंडित पवन शुलनी के अनुसार इस बार सोमवार होने से मां दुर्गा जी हाथी की सवारी पर आती मानी जाती हैं, जो धन लक्ष्मी सुख समृद्धि और बाल को बढ़ाने वाली आलस को दूर करने वाली और सब मंगल करने वाली सिद्ध होती है। मां भगवती का शुभ आह्वान प्रातः काल का ही माना जाता है। इसका चौघड़िया मुहूर्त कलश स्थापना के लिए सूर्य उदय के बाद 6:31 से लेकर 7:30 बजे तक रहेगा इस समय के मध्य मां भगवती का कलश स्थापना करने का शुभ मुहूर्त है।
दूसरा अन्य शुभ मुहूर्त इसी तिथि में 9:30 से 11:00 बजे प्रातः काल शुभ बेला शुभ चौघड़िया मुहूर्त कहलाएगा। इस मुहूर्त में भी आप माता का कलश स्थापना कर सकते हैं। तीसरा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:05 से 12:55 बजे तक रहेगा। इसमें भी आप घट स्थापना कर सकते हैं। धनु लग्न 12:45 से 2:45 मिनट तक रहेगा धनु लग्न में भी पूजन आह्वान शुभ माना जाता है।
इस नवरात्रि में कोई भी तिथि क्षय नहीं है, यानी पूरे नौ नवरात्र हैं जो शुभ कार्य सिद्ध होंगे। तीन अक्टूबर को महा अष्टमी, चार को महानवमी और पांच अक्टूबर को प्रात: काल माता का विसर्जन और दशहरा मना पाएंगे।
कैसे करें घट स्थापना
25 तारीख को श्राद्ध से निवृत होने के बाद घर में में जल गंगाजल के छींटे दें और बाजार से जौं लाकर पानी में भिगो दें मिट्टी और रेत को छानकर मिश्रण बना कर एक मिट्टी के बर्तन या किसी थाली में मिट्टी में थोड़ा पानी मिक्स करके रख लें। अगले दिन घट स्थापना मुहूर्त पर भीगे हुए जौं इस मिट्टी और रेत के मिश्रण में डालकर पानी डाल दें किसी कागज से ढक दें या सूती कपड़े से प्रतिदिन पूजन के बाद इसमें पानी देकर तीन दिन तक इसको ढकते रहें। तीन दिन में जौं में अंकुर आ जाएगा, उसके बाद जौं ढकने नहीं हैं खुले रहने देने हैं। अच्छी हरियाली आप जौं में देख पाएंगे। नवरात्रि पूजन संपन्न होने पर दशहरा वाले दिन विसर्जन के बाद 9 या 11 जौं की संख्या में मौली से बांध कर अपने व्यापार स्थल की तिजोरी में या गल्ले में रखें इस बार की दुर्गा पूजा धन सुख समृद्धि को बढ़ाने वाली है।
इस मंत्र का करें जाप
नवरात्रि में आप ओम एम हरीम क्लेम चामुंडाए विच्चे या संपूर्ण नवार्ण मंत्र , गुरु या कुल पुरोहित से प्राप्त करके जप कर सकते हैं। जो लोग धन की कामना के लिए माता को प्रसन्न करना चाहते हैं वह लक्ष्मी रूप में, ध्यान ज्ञान प्राप्त करने के लिए सरस्वती रूप, शक्ति प्राप्त करने के लिए महाकाली रूप में पूजा करें।
माता के नवरात्रि में नाम
प्रथम शैलपुत्री
द्वितीय ब्रह्मचारिणी
तृतीय चंद्रघंटा
चतुर्थ कूष्मांडा
पंचम स्कंदमाता
छठी कात्यानी
सप्तम कालरात्रि
अष्टमी महागौरी
नवमी सिद्धिदात्री
घर सुरक्षा के लिए पूजन
घर सुरक्षा के लिए भैरव जी को दीप दान दिया जाता है। माता के नवरात्रि के दौरान घर से बाहर दहलीज़ के पास सरसों के तेल के साथ भैरव का दीपक जलाएं। पंडित पवन शुलनी ने बताया माता की निस्वार्थ पूजन श्रद्धा भाव से करने से सभी तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं।