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Nurpur: नूरपुर में रेडियोलॉजिस्ट नहीं, धूल फांक रही लाखों की मशीन, मरीजों को दिक्कतें

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खबर आजतक, धर्मशाला ब्यूरो 

नूरपुर सिविल अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर 200 विस्तर का हो चुका है। अस्पताल में डॉक्टरों के स्वीकृत 34 पद हैं जबकि वर्तमान में महज 28 डॉक्टर कार्यरत हैं। अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट का पद गत चार वर्षों से रिक्त चल रहा है। जिसके चलते लाखों की मशीन वर्षों से धूल फांक रही है। जिसके चलते नूरपुर चार विधानसभा क्षेत्रों नूरपुर, फतेहपुर, इंदौरा, ज्वाली के अलावा भटियात के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि इस दौरान कुछ माह के लिए यहां अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ की नियुक्ति हुई थी लेकिन कुछ माह बाद ही यहां से उनका टांडा को स्थानांतरण कर दिया गया।अल्ट्रासाउंड ना होने से मरीजों को निजी अस्पताल,पठानकोट या टांडा मेडिकल कॉलेज का रुख करना पड़ता है। डॉक्टर विशेषकर गर्भवती महिलाओं को दो से तीन बार गर्भ में बच्चे की ग्रोथ को जानने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने की डॉक्टर सलाह देते हैं। हर बार गर्भवती परिवार के परिजनों को निजी अस्पतालों में जेब ढीली करनी पड़ती है।

वहीं नूरपुर व जसूर के निजी हस्पतालों में अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए महंगे दामों पर इन महिलाओं के परिजनों को अपनी जेबें डीली करनी पड़ रही है। इसमें गरीब व बीपीएल परिवारों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है क्योंकि सरकार द्वारा बनाए गए हेल्थ कार्ड के निजी अस्पतालों में मान्य नहीं होते !अगर यह सुविधा नूरपुर अस्पताल में उपलब्ध होती है तो अन्य वर्गों के लोगों को भी नाम मात्र दामों पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा प्राप्त हो सकती है!इन महिलाओं का कहना है कि एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हर बार बड़े-बड़े दावे करती रहती है लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है ! काफी मरीज वाजार से मंहगी दवाईया खरीदने पर मजवूर है।काफी समय से यही हाल नुरपुर अस्पताल मे मरीजो के उपचार से पहले होने वाले टेस्टो का है जहां अधिकाश टेस्ट सरकारी अस्पताल मे न होकर निजी संस्थाओं मे करने पर मरीज़ मजबूर हैं। इतना नही कि सरकारी अस्पताल मे एक एन जी ओ की प्रयोगशाला भी है लेकिन अस्पताल मे तैनात कुछ डाक्टरो की टीम इस तरफ मरीजो के टेस्ट हेतु ऱैफर नहीं करती।

लोगों का कहना है कि सरकार ने सभी सुविधाएं नुरपुर के इस अस्पताल मे दी है लेकिन कुछ ताकतवर लोगों ने राजनीती की आड में सदा इस अस्पताल का निजीकरण कर दिया है। नुरपुर अस्पताल मे तैनात मेडिकल अधीक्षक सुशील शरमा का कहना है कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ के पद रिक्त होने के सम्बंध में विभाग को समय समय पर जानकारी भेजी जाती है। जहां तक टेस्ट व दवाईयो की खरीददारी का मरीजो की समस्या का है उस पर मरीजो की तरफ से कोई शिकायत नहीं आई है। मरीज जब तक अपनी समस्याओं के बारे में मुझे नहीं बताएंगे कैसे समस्याओं का समाधान होगा। मेरे पास मरीज जो भी समस्या लेकर आते हैं उनका समाधान मौके पर किया जाता है। नुरपुर अस्पताल मे हर माह मरीजों के सफल ऑपरेशन किये जाते हैं। नुरपुर के सरकारी अस्पताल मे मरीजों के उपचार के लिऐ हमने जनहित में व्यवस्था परिवरतन किया है। आज हजारों मरीज इस अस्पताल का लाभ उठा रहे हैं।

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