मोनिका शर्मा, धर्मशाला
हिमाचल में आज से 40 साल पहले मोटे अनाज की पैदावार 35 हजार हेक्टेयर में होती थी। समय के साथ किसान कैश क्रॉप्स की तरफ मुड़े और आज मिलेट्स यानी मोटे अनाज की पैदावार महज 6 हजार हेक्टेयर पर हो रही है। यही कारण है कि केंद्र और प्रदेश सरकार मिलकर हिमाचल में आने वाले साल को धर्मशाला से मिलेट्स ईयर-2023 के रूप में मना रही हैं। इस दिशा में धर्मशाला के होटल रैडिसन ब्लू में रविवार को मिलेट्स ब्रंच कार्यक्रम हुआ। इसमें कृषि विभाग के उपनिदेशक डा राहुल कटोच, बागबानी विभाग के उपनिदेशक डा कमलशील नेगी खास तौर पर मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में बाजरा, ज्वार, रागी, कोदरा, चोलाई,चीणी आदि को सजाया गया।
इसके अलावा इसी अनाज से डोसा, रोटी, सिड्डू, गोल गप्पे, जूस, हलवा आदि तैयार करवाए गए। कार्यक्रम में कई किसान अपने प्रोडक्ट लेकर आए थे। अपने संबोधन में कृषि विभाग के उपनिदेशक डा राहुल कटोच ने कहा कि आने वाला साल 2023 मिलेट्स की प्रोडक्शन में नई इबारत लिखने जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों को पारंपरिक और हाइब्रिड बीजों की तर्ज पर मोटे अनाज के बीज सस्ती दरों पर दिए जाएंगे।
इसमें उन्हें सबसिडी भी दी जाएगी। बाद में इसकी पैदावार को बेचने के लिए उन्हें मार्केट भी मुहैया करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि मिलेट्स न्यूट्रिशियन से भरपूर हैं। ये हमें कई तरह के रोगों से बचाते हैं। कार्यक्र म में बागबानी विभाग के उपनिदेशक डा कमलशील नेगी ने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में लोग मोटे अनाज के महत्व को भूल गए थे। अब केंद्र और प्रदेश सरकारों के सहयोग से इसकी खेती को प्रोमोट करना हिमाचल में मील का पत्थर साबित होगा। इस अवसर पर चीफ शेेफ जितेंद्र के अलावा कई गणमान्य मौजूद रहे।
भारत ने दिया था प्रस्ताव
गौर रहे कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में मिलेट्स को प्रोमोट करने का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को आम सहमति से स्वीकार कर लिया गया था। इसके बाद ही साल 2023 को मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया है।
पीडीएस का बड़ा रोल
हिमाचल की बात की जाए, तो 90 फीसदी लोग पीडीएस से जुड़े हुए हैं। लोग खाने में गेहूं और चावल को ज्यादा तवज्जो देते हैं। यही कारण है कि मिलेट्स को प्रोमोशन नहीं मिल पाई थी। डा कुशल शर्मा कहते हैं कि मौजूदा समय में 50 फीसदी बच्चे व महिलाएं में अनीमिया की कमी देखी गई है। ऐसे में मिलेट्स को प्रोमोशन मिलने से ऐसे रोगों से बचा जा सकेगा।