हमीरपुर के अवाहदेवी से अयोध्या के लिए शुरू की गई एचआरटीसी की बस सेवा घाटे का सौदा साबित हुई है। एचआरटीसी को इस बस से मुनाफे की उम्मीद थी, मगर उसकी उम्मीद पूरी नहीं हुई और सबसे लंबे रूट की यह बस घाटे में चल रही है। इसके लिए पर्याप्त यात्री नहीं मिल पा रहे हैं, जिस कारण एचआरटीसी इस व्यवस्था में कुछ परिवर्तन चाहता है। बताया जाता है कि जल्द ही इस बस सेवा को रोजाना चलाना बंद कर दिया जाएगा और सप्ताह में एक ही बार चलाया जाएगा। इसके लिए एक दिन निर्धारित होगा, जिससे एचआरटीसी को भी ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। निगम पहले ही घाटे में चल रहा है और घाटे के कारण अपने बिना फायदे वाले रूटों को सरेंडर करने में लगा है। ऐसे में एचआरटीसी हमीरपुर से अयोध्या के लिए एचआरटीसी बस सेवा में बदलाव करेगा। बस के लिए रोजाना सवारियां नहीं मिल रही है। एचआरटीसी का यह सबसे लंबा रूट है। इस पर सवारियां कम मिलने से लगातार घाटा हो रहा है। निगम प्रबंधन बस रूट को बंद करने के बजाय इसे सप्ताह में एक दिन ही चलाने की तैयारी में है।
इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है। हालांकि इसे अभी अंतिम मंजूरी मिलना बाकी है। यह बस सेवा गत सात मार्च को हमीरपुर के अवाहदेवी से अयोध्या के लिए शुरू की गई थी। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद प्रदेश भर से काफी डिमांड बसों की आ रही थी, लेकिन अब बसों में सवारियां लगातार कम हो रही हैं। बताया जाता है कि पूर्व में एचआरटीसी प्रबंधन इस बस सेवा को शिमला, ऊना, नालागढ़, मनाली, हमीरपुर, धर्मशाला से भी चलाने की सोच रहा था, जहां से यात्री अयोध्या के लिए जाते। इसके लिए बाकायदा परमिट भी ले लिए गए थे, लेकिन केवल हमीरपुर से ही इस बस सेवा को शुरू किया गया था। एचआरटीसी के बेड़े में शामिल हुई बीएस-6 सीरीज की नई बस को अयोध्या के लिए चलाया गया था। नई बसों के ब्रेकडाउन का खतरा नहीं होता। वहीं एचआरटीसी के एमडी रोहन चंद ठाकुर ने बताया कि अयोध्या के लिए बस सेवा को चलाया गया है, लेकिन इसमें फायदा नहीं हो पा रहा है। एचआरटीसी का यह सबसे लंबा रूट है, जिसका घाटा सहन नहीं हो सकता। यात्रा सुविधा देने के लिए इस बस को सप्ताह में एक दिन चलाए जाने पर विचार किया जा रहा है।
108 रूट पर मांगे आवेदन
निगम अपने घाटे के रूट छोडऩे की तैयारी में है। 108 रूटों पर आवेदन मांग भी लिए गए हैं, जबकि आने वाले दिनों में 258 रूटों को भी सरकार की मंजूरी से नोटिफाई किया जाएगा।