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HPPERC: एक निजी विश्वविद्यालय का वीसी अयोग्य, पद खाली होने पर दूसरे को समन

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हिमाचल प्रदेश के एक निजी विश्वविद्यालय में कुलपति (वीसी) की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के विपरीत हुई है। इस विश्वविद्यालय के कुलपति को राज्य निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने अयोग्य करार दे दिया है। एक अन्य विश्वविद्यालय में बीते पांच माह से कुलपति का पद खाली होने के चलते प्रबंधन को समन जारी हुआ है। अब आयोग की अदालत में तीन मार्च को इस विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों को सुनवाई के लिए बुलाया गया है। राज्य निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने कुलपतियों के दस्तावेजों की जांच के बाद एक कुलपति को अयोग्य करार दिया है। आयोग ने सात कुलपतियों की पात्रता जांचने के लिए तीन सदस्यीय गठित की है। दो कुलपति जांच में योग्य पाए गए हैं। तीन कुलपतियों के दस्तावेजों की जांच अगले सप्ताह पूरी होगी। पहले चरण में चार विश्वविद्यालयों से जानकारी लेकर दस्तावेज जांचे गए।

अयोग्य पाए गए कुलपति के मामले में कई खामियां मिली हैं। दो वर्ष पूर्व आयोग की जांच के बाद 16 में से 11 कुलपतियों ने पद छोड़ दिए थे। निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की शैक्षिक योग्यता को जांचने के बाद आयोग की ओर से विश्वविद्यालय प्रबंधन को नोटिस जारी किए गए थे। कुछ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने जांच पूरी होने से पहले ही अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था जबकि कुछ विश्वविद्यालयों ने आयोग के नोटिस के बाद कुलपतियों को हटाया। दो वर्ष पूर्व हटाए गए कुलपतियों की जगह निजी विश्वविद्यालयों में नई नियुक्तियां हुई हैं। ऐसे में आयोग ने इन कुलपतियों की भी शैक्षणिक योग्यता और पात्रता जांचने का फैसला लिया है। उल्लेखनीय है कि नियमों के तहत कुलपति की नियुक्ति के लिए पीएचडी, 10 साल तक पढ़ाने का अनुभव, रिसर्च पेपर प्रकाशित होने चाहिए।

एचपीयू के पूर्व कुलपति की अध्यक्षता में गठित की है कमेटी

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के पूर्व कुलपति प्रोफेसर सुनील गुप्ता की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। जांच कमेटी में शिक्षाविद् चमन लाल और डीडी शर्मा को शामिल किया गया है। जांच कमेटी की पहली रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने एक कुलपति को अयोग्य करार देते हुए विश्वविद्यालय प्रबंधन को इन्हें बदलकर किसी अन्य पात्र व्यक्ति की नियुक्ति करने के लिए कहा है। विनियामक आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि निजी शिक्षण संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जांच की जा रही है।

 

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