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मालखाना रजिस्टर में प्रविष्टि के बारे में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के अहम निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मोहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए कहा कि मुकदमे के साक्ष्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने उचित निर्णय सुनाया है। 24 सितंबर 2015 को हाईकोर्ट ने मालखाना रजिस्टर में प्रविष्टि न होने पर चरस रखने के आरोपी को 10 साल की सजा से बरी किया था। अदालत ने अपने निर्णय में कहा था कि मालखाने से मुकदमे की संपत्ति निकालते और जमा करवाते समय उचित प्रविष्टि करना जरूरी है। मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम के मुकदमे की संपत्ति को सुरक्षित रखना आवश्यक है, अन्यथा यह संदेह करता है कि जो चरस अभियुक्त से बरामद की है, वही प्रयोगशाला भेजी गई या नहीं।
मामले के अनुसार दो किलोग्राम चरस रखने के जुर्म में बिलासपुर के तारा चंद को विचारण अदालत ने 10 वर्ष की कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। अपील की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड का अवलोकन पर पाया था कि चरस को मालखाने से निकालते समय और जमा करवाते समय आवश्यक प्रविष्टि दर्ज नहीं की गई थी। जिससे अभियोजन पक्ष का अभियोग संदेह के घेरे में पाया गया। अदालत ने ताराचंद को दोषमुक्त करते हुए यह निर्णय सुनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने उचित ठहराते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया।