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प्लांट बंद होने से 20 हजार परिवार प्रभावित हुए और करीब डेढ़ लाख लोगों की रोजी रोटी पर संकट बना था। अब 68 दिन बाद एक बार फिर ट्रक सड़कों पर चलना शुरू हो जाएंगे। हजारों कामगार और छोटे कारोबारी अपने काम पर लौटेंगे। फैक्टरियां बंद होने से ट्रक चालक बाहरी राज्यों में रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं। अब फैक्टरी शुरू होने से उनकी यह समस्या भी दूर हो जाएगी। साथ ही मेकेनिक और ढाबे पर काम करने वालों का काम भी पटरी पर लौटेगा। हालांकि जो नुकसान लोगों को हुआ है, उसे पूरा करने में काफी समय लगेगा।
बरमाणा सीमेंट फैक्टरी में पूर्व सैनिकों और बीडीटीएस के 3800 ट्रक चलते हैं। इन ट्रकों से हजारों परिवारों की रोजी रोटी चलती है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से करीब डेढ़ लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं। फैक्टरी के पांच किलोमीटर के दायरे में काम करने वाले मेकेनिक, ढाबे वाले और छोटी दुकानें करने वाले लोग इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। पेट्रोल पंप पर भी ट्रक ऑपरेटरों के तेल का कर्ज करोड़ों में है।
डीसी पंकज और विधायक धर्माणी ने निभाई अहम भूमिका
बिलासपुर जिला ट्रक ऑपरेटर सहकारी सभा और अदाणी समूह में सीमेंट ढुलाई के किराये को लेकर उपजे विवाद को सुलझाने में बिलासपुर के उपायुक्त पंकज राय और घुमारवीं के विधायक राजेश धर्माणी का बड़ा योगदान रहा है। सीमेंट विवाद शुरू होने के बाद से लेकर अभी तक दोनों ने अपने स्तर पर कई बार अदाणी समूह और ऑपरेटरों के साथ बैठक की। सोमवार को हुई बैठक, जिसमें सीमेंट विवाद का हल निकला है, उसमें भी दोनों का ही अहम योगदान रहा। सीमेंट विवाद शुरू होने के बाद दूसरे दिन से उपायुक्त पंकज राय ऑपरेटरों और अदाणी समूह के साथ बैठक कर विवाद को सुलझाने की कोशिश करने लगे थे। उपायुक्त ने 17 फरवरी को फिर से अदाणी समूह,ऑपरेटरों की बैठक बुलाई। साढ़े छह घंटे की बैठक के बाद अदाणी समूह वही दाम माल ढुलाई के देने को तैयार था, जो सोमवार को तय हुए।