1985 की बात है , शिमला नगर निगम का चुनाव था । चुनाव लड़ने की योग्यता 21 वर्ष थी । वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू तब छात्र नेता हुआ करते थे। सुक्खू भी नगर निगम चुनाव छोटा शिमला वार्ड से काउंसलर के रूप में लडना चाहते थे । परंतु उनकी उमर उस समय पूर्ण रूप से 21 वर्ष नहीं थी। चंद महीनों का फर्क था। और जिस आदमी के लिए सुक्खू और उनके मोहल्लावासी टिकट की लाबिंग कर रहे थे उसे प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया।
सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उनके मित्रों ने मोहल्लावासियो। से। मंत्रना करके छोटा शिमला वार्ड से यशपाल गुप्ता को उम्मीदवार बनाकर निर्दलीय मैदान में उतार दिया।
यशपाल गुप्ता चुनाव जीत गए इसी के साथ 2 अन्य निर्दलीय भी चुनाव जीते और नगर निगम की सत्ता की चाबी निर्दलीय जीते काउंसलर के हाथ में आ गई।
भाजपा कांग्रेस दोनो दलों में नगर निगम की सत्ता पाने हेतु निर्दलीय काउंसलर को अपने पाले में करने की जद्दोजहद चल पड़ी।1977 से 80 तक मुख्यमंत्री रहे श्री शांता कुमार उस समय भाजपा के सबसे बड़े नेता हिमाचल में थे । शांता कुमार जी ने यशपाल गुप्ता को फोन किया और उनसे अपनी पार्टी को समर्थन मांगा।
यशपाल गुप्ता ने कहा ” यह मैं नहीं सुक्खू तय करेगा”
शांता जी को सुक्खू नाम के शक्श के बारे मे कोई आइडिया नही था । तो उन्होंने कहा आप और ये सुक्खू या कोई और जो भी तय करेगा एक बार मुझसे मिल तो लीजिए। शांता कुमार के साथ मिलने यशपाल गुप्ता सुक्खू को लेकर चल पड़े और साथ में अन्य मित्र मंडली भी थी।
शांता कुमार के सामने एक 21 साल के लड़के को गुप्ता जी ने खड़ा कर दिया की यह सुक्खू है और यही तय करेगा की मुझे किसे समर्थन देना है
फिर शांता कुमार को वहां पूरी कहानी पता चली की कैसे इस नौजवान लड़के सुक्खू ने यशपाल गुप्ता को उम्मीदवार बनने पर राजी किया और निर्दलीय चुनाव भी जितवा दिया। सुक्खू क्यों तय करेगा , यह अब शांता कुमार बखूबी समझ चुके थे।
शांता कुमार ने सुक्खू के बारे में जाना सुना और यशपाल गुप्ता से भाजपा को समर्थन करवाने की गुजारिश के साथ, साथ सुक्खू को यह आफर भी दिया की आप भाजपा विचारधारा से जुड़े छात्र संगठन ABVP को ज्वाइन कीजिए। उसमे आपको अच्छा ओहदा दिया जायेगा।
परंतु भविष्य के गर्भ में कुछ और था। सुक्खू ने यह आफर ठुकराया यशवंत गुप्ता ने कांग्रेस को समर्थन दिया और सुक्खू NSUI में आगे बढ़े। शांता कुमार दिग्गज राजनेता रहे, 1990 में पुनः मुख्यमंत्री बने केंद्रीय मंत्री सांसद रहे।
सुक्खू भी बाद में शिमला नगर निगम।के काउंसलर बने 2003 में विधायक रहे। 2007, 2017 में फिर चुने गए कांग्रेस के अध्यक्ष रहे!
दोनो नेता सैंकड़ों बार मिले होंगे। पर आज दोनो फिर मिले,ऐतिहासिकता के साथ पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री के रूप में । शांता कुमार का आफर लेटर और सुक्खू का इनकार। चर्चा तो पक्का हुई होगी पुनः इस बार ।