हिमालयन महिला एवं जन
हर साल गर्मी के मौसम में जंगलों को दहकाने वाली चीड़ की पत्तियां ग्रामीण महिलाओं की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के साथ-साथ घरों की सुंदरता में चार चांद भी लगाएंगी। साल भर गिरने वाली इन पत्तियों को इक_ा कर सजावटी उत्पाद बनाने वाली टीम का गठन हिमाचल में हो चुका है और इस गठन की नींव को बनाने के लिए सर्व प्रथम कदम हिमालयन महिला एवं जन कल्याण संस्था हमीरपुर ने बढ़ाया है। संस्थान ने हिमाचल की अलग-अलग क्षेत्र की 30 नारियों को छह दिवसीय प्रशिक्षण देकर हस्त कारीगिरी में निपुण बनाकर हर गांव-गांव में महिलाओं को इस तकनीकी ज्ञान से जोडऩे का आह्वान किया है।
संस्था के राष्ट्रीय सचिव सुरेश कश्यप ने बताया कि संस्था की अध्यक्ष अंजना ठाकुर के अथक प्रयासों से इस छह दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करियर प्वाइंट विश्वविद्यालय के सहयोग से उनके सभागार में करवाया गया। 15 मई से शुरू हए इस प्रशिक्षण शिविर में किन्नौर, शिमला, मंडी, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर व पुह की 30 महिलाओं को फ्री प्रशिक्षण दिया। संस्था की ओर से प्रशिक्षिका रीमु कुमारी ने सबसे पहले इन तमाम महिलाओं से जंगल से चीड़ की सूखी हुई पत्तियां एकत्रित करवाई। आग से बचेंगे जंगल हिमालयन महिला एवं जन कल्याण संस्था के अध्यक्ष अंजना ठाकुर ने बताया कि पूरे हिमाचल में गर्मियों के मौसम में लगभग दो से तीन बार जंगल दहकते हैं। इसमें जंगल के साथ-साथ लाखों जीवों की प्रजातियां हर वर्ष झुलस कर राख हो जाती हैं।
पहली बार किसी संस्था ने इस अनोखी तकनीक को अपनाकर चीड़ की पत्तियों को समय पर जमा कर इससे बेहतर उत्पाद बनाने का एक सराहनीय कदम उठाया है। ऐसे में जंगल दहकने से बच जाएंगे। पत्तियों से बनाए उत्पाद महिलाओं ने प्लेट, रोटी की टोकरी, सजावटी बाकेट, घर के अंदर इस्तेमाल होने वाली चप्पल, ड्राई फू्रट रखने के लिए आकर्षक टोकरी, फूलदान, मंदिर में पूजा के दौरान इस्तेमाल होने वाले तमाम बर्तन चीड़ की पत्तियों से तैयार करना सिखाए गए। जैसे कि चीड़ की पत्तियों में बिरोजे की मात्रा होती है, तो सर्वप्रथम उस बिरोजे को निकालने की तकनीक भी सिखाई गई। हस्तशिल्प से जुड़े इस प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में कैरियर प्वाइंट विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा. संजीव शर्मा, अंतरराष्ट्रीय योग शिक्षक डा. राम अवतार, आयुर्वेदा डा. कुंतेश विशेष रूप से उपस्थित हुए।