हिमाचल में स्थापित
हिमाचल प्रदेश में स्थापित निजी विश्वविद्यालयों में पीएचडी की 100 सीटें कम हो गई हैं। 16 निजी विश्वविद्यालयों को निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने इस वर्ष 550 सीटों का ही आवंटन किया है। यूजीसी के अनुसार पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने पर कई विश्वविद्यालयों की सीटों पर आयोग ने कैंची चला दी है। सभी निजी विश्वविद्यालयों की जांच करने के बाद आयोग ने बीते वर्ष आवंटित 650 सीटों में से 100 सीटों को कम करने का फैसला लिया है। आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि गुणात्मक शिक्षा के लिए यह पहल की गई है। आयोग की जांच में कई निजी विश्वविद्यालयों में पीएचडी करवाने को लेकर कमियां पाई पाई थी। इसी आधार पर सीटों में कमी की गई है। इस वर्ष जनवरी में प्रदेश में सभी 16 निजी विश्वविद्यालयों से जारी हुई पीएचडी डिग्रियों की आयोग ने जांच शुरू की थी।
वर्ष 2009 के बाद जारी सभी पीएचडी डिग्रियों का निजी विश्वविद्यालयों से रिकॉर्ड एकत्र कर पाया गया कि कई संस्थानों ने निर्धारित नियमों का पालन किए बिना पीएचडी करवाई। पीएचडी की डिग्री तीन वर्ष की होती है। इसे छह वर्षों के भीतर पूरा किया गया। यूजीसी ने पीएचडी गाइड के लिए आयु सीमा तय की है। 70 वर्ष से अधिक आयु वाला गाइड नहीं बन सकता, जबकि कुछ निजी विश्वविद्यालयों में कई शोधार्थियों के गाइड की उम्र 72 से 75 वर्ष तक भी मिली। नियमों के तहत शोधार्थी को 18 माह कैंपस में रहकर शोध कार्य करना होता है। यह नियम भी पूरा नहीं हुआ। आचार्य, सह आचार्य व सहायक आचार्य जितने शोधार्थी ले सकते हैं, इस नियम की भी पूरी तरह अनदेखी की गई है। कुछ निजी विश्वविद्यालयों ने सहायक आचार्यों को नियुक्त करने के बाद ही उनके अधीन पीएचडी करवाना शुरू कर दिया। इस सब कमियों को देखते हुए आयोग ने इस वर्ष के लिए निजी विश्वविद्यालयों में पर्याप्त सुविधाओं के आधार पर पीएचडी की सीटों में कटौती करने का फैसला लिया है।
71 विषयों में होगी पीएचडी, मैनेजमेंट का क्रेज सबसे अधिक
प्रदेश के 16 निजी विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2023-24 के दौरान 71 विषयों में पीएचडी करवाई जाएगी। मैनेजमेंट विषय की पीएचडी को लेकर विद्यार्थियों में सबसे अधिक क्रेज है। अधिकांश विश्वविद्यालयों को यह विषय आवंटित हुआ है। इसके अलावा कंप्यूटर साइंस, कैमेस्टि्री, फार्मेसी, बायो टेक्नोलॉजी, लॉ और फारेस्ट्री विषय की डिमांड भी अधिकांश विवि की ओर से की गई थी।
मानव भारती विश्वविद्यालय बंद होने की कगार पर
फर्जी डिग्री मामले में फंसा मानव भारती विश्वविद्यालय बंद होने की कगार पर है। ऐसे में इस विश्वविद्यालय को पीएचडी की कोई भी सीट आवंटित नहीं की है। इस विश्वविद्यालय में इन दिनों विद्यार्थियों के आखिरी बैच की पढ़ाई चल रही है। अधिकांश विद्यार्थियों ने यहां से अन्य विश्वविद्यालयों मेंं माइग्रेशन करवा ली है। चालू बैच की शिक्षा पूरी होते ही इस विश्वविद्यालय का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।