धर्मशाला: जिला ऊना के हरोली में बनने वाले बल्क ड्रग पार्क की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को केंद्र सरकार ने अंतिम मंजूरी प्रदान कर दी है। उद्योग व श्रम रोजगार मंत्री बिक्रम ठाकुर ने यह जानकारी प्रेस को जारी बयान में दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की योजना संचालन समिति ने इस मेगा प्रोजेक्ट की डीपीआर को अपनी अंतिम स्वीकृति दी।
उन्होंने कहा कि 1923 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से बनने वाली बल्क ड्रग पार्क परियोजना के लिए भारत सरकार 1000 करोड़ रुपये की अनुदान राशि देगी। शेष 923 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार देगी। उद्योग मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार पहली किस्त के रूप में अपने हिस्से की अनुदान राशि के 300 करोड़ रुपये शीघ्र प्रदान कर देगी।
जल्द से जल्द परियोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा। बिक्रम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बल्क ड्रग पार्क के रूप में हिमाचल को बड़ा तोहफा दिया है। इससे हिमाचल में विकास की बयार बहेगी।
उन्होंने कहा कि बल्क ड्रग पार्क न केवल राज्य में मौजूदा फार्मा इकाइयों के लिए मददगार साबित होगा, बल्कि ए.पी.आई. यानी दवाइयों के निर्माण के लिए कच्चे माल के उत्पादन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक क्रांतिकारी कदम होगा। उन्होंने कहा कि बल्क ड्रग पार्क की डीपीआर को रिकॉर्ड समय में तैयार करने तथा इसे मंजूर करवाने के लिए उद्योग विभाग की टीम ने दिनरात काम किया। डीपीआर पर विभाग ने एक भी पैसा नहीं खर्चा। डीपीआर विभाग ने खुद ही रिकार्ड समय में 10 दिन में बनाई।
यह परियोजना अपने आस-पास के क्षेत्र में कई आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी। इससे संबद्ध उद्योग, आवास, शिक्षा, व्यावसायिक, सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
युवा उद्यमियों को मिलेंगे नए अवसर, 5 जिलों के लोगों को लाभ
उद्योग मंत्री ने कहा कि यह परियोजना युवा उद्यमियों को नए अवसर प्रदान करेगी और इससे आस-पास के 5 जिलों ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा, सोलन और हमीरपुर में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में बदलाव आएगा। उद्योग मंत्री ने कहा कि उद्योग विभाग ने 3 अक्तूबर, 2022 को भारत सरकार के फार्मास्युटिकल विभाग को बल्क ड्रग पार्क की डीपीआर प्रस्तुत की थी। उन्होंने कहा कि सचिव, फार्मास्युटिकल विभाग की अध्यक्षता में योजना संचालन समिति की बैठक में डीपीआर पर व्यापक चर्चा करने के उपरांत इसे अंतिम मंजूरी प्रदान की गई थी।
इस समिति में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी), उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार, महानिदेशक ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया और भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (आईएफसीआई) के प्रतिनिधि उपस्थित थे।