हिमाचल प्रदेश में मॉनसून की मुसलाधार बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. मानसून सीजन की सबसे भारी वर्षा ने कोहराम मचा दिया. मंडी, चंबा, कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला जिलों में वर्षा से भारी तबाही हुई है. बीते 24 घंटों के दौरान प्रदेश में भूस्खलन, बाढ़ व बादल फटने की 34 घटनाओं में 19 लोगों की जान गई, जबकि 9 लोग लापता हैं. प्रधान सचिव राजस्व ओंकार शर्मा ने बताया कि प्रदेश में इस बार 316 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है. पिछले 18 सालों में यह सबसे अधिक बारिश है. केवल 2010 और 2018 में सामान्य से अधिक बारिश हुई है.
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार मुसलाधार वर्षा से शनिवार को 742 सड़कें बंद रहीं, दो हजार ट्रांसफार्मर और 172 पेयजल परियोजनाएं भी बाधित हुईं. मंडी जिला में सबसे ज्यादा 10 लोगों की मौत हुई है. चंबा में तीन, शिमला में दो, ऊना, कुल्लू व कांगड़ा में एक-एक व्यक्ति की जान गई है.अधिकतर मौतें भूस्खलन की चपेट में आने से हुई हैं.
मंडी जोन में सबसे ज्यादा 352, शिमला जोन में 206, कांगड़ा जोन में 174 और हमीरपुर जोन में सात सड़कें बाधित हैं. शाहपुर जोन में दो स्टेट हाईवे और शिमला-कालका नेशनल हाईवे भी बंद रहा.
शनिवार शाम सानू बंगला के पास पहाड़ी दरकने से शिमला-कालका नेशनल हाईवे भी अवरूद्व हो गया. यातायात को शोघी-मैहली बाईपास से डाइबर्ट किया गया है.ठियोग-शिमला हाईवे पर ठियोग में यूपी नंबर की एक कार के दुर्घटनाग्रस्त होने से दो लोगों की मौत हो गई और दो जख्मी हैं.
प्रधान सचिव राजस्व ओंकार शर्मा ने बताया कि पुर्नवास और राहत कार्यों के लिए जिलों को 232 करोड़ की राशि दी गई है. उन्होंने कहा कि मानसून सीजन में वर्षा जनित हादसों में अब तक 233 लोगों की मौत हो चुकी. बरसात से प्रदेश में 1200 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.