हिमाचल में बनी
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की जांच में हिमाचल के 12 उद्योगों में निर्मित दवाएं गुणवता मानकों पर खरा नहीं उतर पाई है। हिमाचल में निर्मित जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए है उनमें बुखार, एलर्जी,अल्सर, संक्रमण, ब्रेस्ट कैंसर व ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार की दवाएं शामिल है। सब-स्टैंडर्ड पाई गई दवाओं का निर्माण पावंटा साहिब, कालाअंब, नालागढ़ , बद्दी व झाड़माजरी स्थित उद्योगों में हुआ है। इसके अलावा बंगलुरू, गुजरात, पजांब, तमिलनाडू, गोवा, आंध्रा प्रदेश, सिक्किम, पंचकूला, उतराखंड व असाम स्थित दवा उद्योगों में निर्मित 22 तरह की दवाएं भी सब-स्टैंडर्ड पाई गई है।
सीडीएससीओ की जांच में नामी दवा कंपनी की प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा नकली पाई गई है, इस दवा के सैंपल ड्रग डिपार्टमेंट ओडिशा ने लिए थे, जिसकी सीडीएल कोलकाता में जांच हुई। सीडीएससीओ ने अप्रैल माह में देश के अलग अलग राज्यों से 895 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे जिनमें से जांच के दौरान 35 दवाएं सब-स्टैंडर्ड व एक दवा नकली पाई गई है, जबकि 859 दवाएं गुणवता के पैमाने पर सही निकली है। राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने सीडीएससीओ द्वारा जारी ड्रग अलर्ट के आधार पर तुरंत कार्रवाई करते हुए सबंधित दवा कंपनियों को कारण बताओं नोटिस जारी कर हुए सब-स्टैंडर्ड दवा उत्पादों का पूरा बैच तत्काल बाजार से हटाने के आदेश जारी किए है।
इसके अलावा जिन दवा कंपनियों में निर्मित दवाएं बार बार फेल हो रही है उन कंपनियों का राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण व अधिकारी संयुक्त रूप से निरिक्षण कर विस्तृत जांच करेंगे। -एचडीएम नोटिस जारी, जांच के आदेश डिप्टी ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि सीडीएससीओ द्वारा जारी अप्रैल माह के ड्रग अलर्ट में शामिल सभी संबंधित दवा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्टाक वापस मंगवाने के निर्देश दिए गए है । इसके अलावा राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण व सीडीएससीओं के अधिकारी उन दवा इकाईयों का निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे,जिनके सैंपल बार बार फेल हो रहे है।