हिमाचल में इस बार गुच्छी
हिमाचल में इस बार गुच्छी की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन इसके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इस बार अभी तक गुच्छी की खरीद के लिए दिल्ली से व्यापारी नहीं आए हैं। व्यापारियों ने गुच्छी की खरीद के लिए बंजार और कुल्लू में दस्तक नहीं दी है। जबकि, ग्रामीणों ने घरों में काफी मात्रा में गुच्छी जमा कर रखी है। रेट न मिलने से ग्रामीणों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। कुल्लू में महज 6,000 से 7,000 रुपये प्रतिकिलो गुच्छी बिक रही है।
जबकि, पिछले बार यही दाम 9,000 से 10,000 रुपये के बीच थे। ग्रामीण इलाकों में लोगों ने आधा किलो से चार से पांच किलो तक गुच्छी इकट्ठा की हुई है। गोर रहे कि हिमाचल की गुच्छी की अंतरराष्ट्रीय मार्केट में खूब डिमांड रहती है। बताया जा रहा है कि इस बार पड़ोसी देश चीन में गुच्छी की पैदावार का असर हिमाचल पर पड़ा है। दिल्ली के व्यापारी हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से गुच्छी खरीदकर ले जाते हैं। फिर इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा जाता है।
भारत से सबसे अधिक गुच्छी फ्रांस के लिए जाती है। इसके साथ अन्य यूरोपीय देशों में भी गुच्छी निर्यात की जाती है। औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी स्वास्थ्य के लिए रामबाण है। इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। गुच्छी के व्यंजन विभिन्न मौकों पर कुल्लू में आने वाले प्रधानमंत्री व अन्य बड़े नेताओं को परोसे जाते हैं। कुल्लू में गुच्छी के व्यापारी हेमराज ने कहा कि दिल्ली से व्यापारी गुच्छी खरीदने के लिए नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि व्यापारी नहीं आने से दामों में गिरावट आई है। लोकल व्यापारी फिलहाल अधिक स्टॉक खरीदने की हिम्मत नहीं उठा रहे हैं।
फरवरी से अप्रैल तक रहता है सीजन
कुल्लू सहित हिमाचल में फरवरी से लेकर मार्च महीने तक गुच्छी का सीजन रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की कमाई का यह एक अच्छा जरिया है। जंगल, बगीचों और खेतों से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग गुच्छी इकट्ठा करते हैं, फिर इसे लोकल व्यापारियों को बेच देते हैं। आकाशीय गर्जना से यह गुच्छी जंगलों और बगीचों में पैदा होती है।