हिमाचल प्रदेश में ठेकेदारों
हिमाचल प्रदेश में ठेकेदारों की आपसी सांठगांठ से टेंडरों का आवंटन किया गया। 92,849 किलो ब्लीचिंग पाउडर मियाद खत्म होने के तीन माह बाद दिया गया। सड़क चौड़ा करने पर भी ठेकेदारों को अनुचित लाभ दिया गया। आप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए भी लोक निर्माण विभाग ने कम राशि वसूली। ये खुलासे भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) की वित्तीय वर्ष 2021-22 रिपोर्ट में हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भरमौर उपमंडल में तो एक पक्की सड़क ही कच्चा बता दी। 16.85 लाख से 976 क्लोरोस्कोप खरीदे। इनका उपयोग पेयजल में क्लोरीन की मात्रा जांचने में नहीं किया गया।
फर्जी प्रविष्टियों पर भुगतान की हेराफेरी
इस रिपोर्ट के अनुसार लोक निर्माण विभाग ने अधूरे सड़क निर्माण कार्य पर 3.34 करोड़ निष्फल व्यय सहित पुस्तिकाओं में फर्जी प्रविष्टियों पर भुगतान की हेराफेरी की है। सांठगांठ के चलते ठेकेदार को 38 लाख का अनुचित लाभ दिया। मंडी के कोटली में परिवहन सुविधा देने के लिए नाबार्ड के तहत पुल सहित जबलाही नाला-बरनोटा करकोह सड़क के निर्माण में लापरवाही बरती। कैग ने सरकार से लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के खिलाफ जांच व जवाबदेही सुनिश्चित करने की सिफारिश की। सड़क किनारों पर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए की गई खोदाई की देय राशि कम वसूली।
लोक निर्माण विभाग को 55 लाख की कम वसूली हुई
भरमौर मंडल के अभिलेखों से पता चला कि वर्ष 2018 में गरोला से देओल तक आदिवासी क्षेत्र में आने वाली 26.10 किलोमीटर सड़क की मरम्मत के लिए 2.65 करोड़ का प्राक्कलन दूरसंचार ऑपरेटर को भेजा। प्राक्कलन में पांच किलोमीटर सड़क कच्ची दर्शाई, जबकि सड़क पक्की निकली। पक्की सड़क के लिए 1,121 रुपये प्रति किलोमीटर, कच्ची सड़क के किनारे खोदाई के लिए 238 रुपये रेट निर्धारित था। इससे लोक निर्माण विभाग को 55 लाख की कम वसूली हुई। वर्ष 2016 से 2021 तक 2618.28 करोड़ की 1717 पेयजल योजनाएं तकनीकी व्यवहार्यता तय किए बिना मंजूरी दे दी गई।
सरकार राज्य स्तरीय प्रयोगशाला तक स्थापित नहीं कर पाई
जल शक्ति विभाग ने 22.83 करोड़ का 92,849 किलोग्राम ब्लीचिंग पाउडर मियाद खत्म के तीन माह बाद फील्ड में दिया। वर्ष 2019 से 2021 तक जिला प्रयोगशालाओं में 84,000 जल नमूनों की जांच करनी थी, लेकिन 56,238 नमूने जांचे गए। वर्ष 2016 से 2021 तक जल शक्ति विभाग में सब कुछ ठीक नहीं हो रहा था। सरकार अपनी राज्य स्तरीय प्रयोगशाला तक स्थापित नहीं कर पाई, जिसे केंद्र से मान्यता मिली है। वर्तमान में कुल 59 प्रयोगशालाओं में से 43 केंद्र से मान्यता प्राप्त हैं। इनमें जांचे नमूनों से यह बात भी सामने आई कि दूषित जल से कई रोग फैल सकते थे। विभाग ने 16.85 लाख से 976 क्लोरोस्कोप खरीदे। इनका उपयोग पेयजल में क्लोरीन का मात्रा जांचने के लिए नहीं किया। शिमला जिले के सैंज-चौपाल-नेरवा-शाल्लू सड़क के 10 किलोमीटर के हिस्से को चौड़ा करने के लिए विभाग ने ठेकेदार को 86 फीसदी राशि का भुगतान पहले करके अनुचित लाभ प्रदान किया।
कर्मचारियों की एनपीएस योजना में जमा नहीं किए करोड़ों
कैग ने खुलासा किया है कि पिछली सरकार के कार्यकाल में कर्मचारियों के एनपीएस में करोड़ों रुपये जमा नहीं हुए। वर्ष 2021-22 के दौरान राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में 1,133.19 करोड़ का कुल अंशदान हुआ। इसमें कर्मचारी अंशदान 474.41 करोड़ व सरकारी 658.75 करोड़ एवं ब्याज तीन लाख रहा। सरकार ने नेशनल सिक्योरिटी डिपोजिटरी लिमिटेड को मुख्य शीर्ष सीमित अंशदान पेंशन योजना से 1.126.55 करोड़ हस्तांतरित किए। इसमें कर्मचारी अंशदान 470.17 करोड़ व सरकारी 656.38 करोड़ था। यानी एनपीएस में सरकार का 5.42 करोड़ कम अंशदान हुआ। 31 मार्च 2022 तक मुख्य शीर्ष सरकारी कर्मचारियों के लिए सीमित अंशदान पेंशन योजना में 7.66 करोड़ का प्रारंभिक शेष जमा करने के बाद 14.30 करोड़ की शेष राशि है। 31 मार्च 2021 तक राज्य सरकार ने 7.66 करोड़ के एनपीएस शेष पर 54 लाख के ब्याज का न तो प्रावधान किया और न ब्याज भुगतान किया।
कैग ने आर्थिक प्रबंधन के लिए की यह सिफारिशें
– सरकार प्रतिबद्ध व्यय को कम करने के तरीके खोजे, जिससे विकास व्यय के लिए अधिक निधियों उपलब्ध कराई जा सके।
– सरकार उधार लेने की उच्च लागत को देखते हुए लाभ अर्जित करने के लिए राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में निवेश की गई पूंजी पर उचित प्रतिफल सुनिश्चित करने के मार्ग खोजे।
– विभिन्न क्षेत्रों को अग्रिम रूप से दिए गए ऋणों की वसूली करने में सरकार कमजोर रही है, इसलिए राज्य सरकार ऋण व अग्रिमों को अनुदान के रूप में मानें और सेवाओं में उनकी सही स्थिति दर्शाने के लिए उन्हें राजस्व व्यय के रूप में बुक करे।
– सरकार आगामी लागत वृद्धि से बचने के लिए अपूर्ण परियोजनाओं को समयबद्ध रूप से पूर्ण करना सुनिश्चित करे।
– लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंताओं की ओर से किए गए कार्य के विभाजन की कठोरता से जांच व जवाबदेही सुनिश्चित की जाएं
– सांठ गांठ बोली की पड़ताल की विस्तृत जांच
– फर्जी प्रविष्टियों की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए
955 लाइसेंस धारियों ने निधार्रित कोटे से कम उठाई शराब, 39 करोड़ का हुआ घाटा
राज्य कर एवं आबकारी विभाग की बेखबर अफसरशाही के चलते सरकार को 2018-20 के दौरान 39 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा। इस दौरान ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, सिरमौर और मंडी जिला में 955 लाइसेंस धारियों ने निधार्रित कोटे से कम शराब उठाई। 714 लाइसेंस धारियों ने 100 प्रतिशत और 214 ने 85 प्रतिशत गारंटीकृत कोटे से कम शराब ली। बुधवार को विधानसभा सदन में रखी गई कैग रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ। संबंधित राज्य कर एवं आबकारी उपायुक्तों ने लेखा परीक्षा टिप्पणियों को स्वीकार करते बकायादारों से वसूली के लिए कार्रवाई की बात कही। कैग रिपोर्ट में सिरमौर और बद्दी में देसी शराब की 24 लाख रुपये की संदेहास्पद चोरी होने का मामला भी उजागर हुआ है।
थोक व्यापारी की ओर से बेची गई एवं खुदरा विक्रेताओं द्वारा उठाई गई मात्रा के बीच मिलान न होने से खुदरा उत्पाद शुल्क की चोरी हुई। रिपोर्ट के अनुसार राज्य कर एवं आबकारी उपायुक्त नाहन और बद्दी के अधीन खुदरा विक्रेताओं ने जिले में थोक विक्रेताओं से 21.99 लाख फ्रूफ लीटर देसी शराब की बिक्री के विरुद्ध 21.91 लाख फ्रूफ लीटर देसी शराब उठाई। इस कारण 8,293.105 फ्रूफ लीटर देसी शराब की संदिग्ध चोरी हुई। बोतलीकरण फीस की वसूली नहीं होने से सरकार को 36.91 लाख रुपये का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। सिरमौर और ऊना के कर एवं आबकारी उपायुक्तों ने दो बोतलीकरण संयंत्रों में 71.86 लाख की वसूली योग्य राशि के प्रति 34.96 लाख रुपये बोतलीकरण लाइसेंस फीस वसूल की।
इस कारण 36.91 लाख रुपये और अतिरिक्त ब्याज का नुकसान हुआ। 69 बिक्री केंद्रों के लाइसेंसधारियों एवं पांच विनिर्माताओं के लाइसेंस फीस के विलंबित भुगतान पर 41.16 लाख और बोतलीकरण फीस के विलंबित भुगतान पर 26.30 लाख की ब्याज राशि की मांग नहीं की गई। इसके चलते 67.46 लाख रुपये के ब्याज की वसूली नहीं हुई। रिपोर्ट के अनुसार राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने शाखा हस्तांतरण पर इनपुट टैक्स क्रेडिट को अस्वीकृत करने में निर्धारण अधिकारियों की विफलता 1.40 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट की अमान्य अनुमति के रूप में परिणत हुई। आवश्यक रिटर्सं फाइल किए बिना ट्रांजिशनल क्रेडिट अनुमत करने से सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। बोली दस्तावेज में उपयुक्त खंड शामिल करने में विद्युत संचार निगम की विफलता के चलते 10 करोड़ के परीक्षण शुल्क का परिहार्य भुगतान हुआ।
वसूली के लिए आवधिक समीक्षा करे विभाग
महालेखा परीक्षक ने राजस्व की सुरक्षा के लिए खुदरा विक्रेताओं, डिस्टिलरी, मद्यशालाओं और बोतलीकरण संयंत्रों से वसूली की आवधिक समीक्षा करने की सिफारिश की है। इसके अलावा इनपुट टैक्स क्रेडिट का समायोजन करते समय संबंधित नियम प्रावधानों पर उचित ध्यान देने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने पर विचार करने को भी कहा है।
राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि से मिले 1,065.68 करोड़ में से 950.72 करोड़ का व्यय दिशा-निर्देश के विपरीत किया
कैग रिपोर्ट के अनुसार एक अप्रैल 2021 तक 233.81 करोड़ की राशि वित्त लेखे के अनुसार राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि में थी। वर्ष 2021-22 के दौरान राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि में मुख्य शीर्ष के तहत 363.00 करोड़ में से केंद्रीय अंश 327.20 करोड़ और राज्यांश 35.80 करोड़ हस्तांतरित किए गए। चालू वर्ष के दौरान 596.81 करोड़ की राशि में से 547.02 करोड़ का संवितरण और उपयोग किया गया। वर्ष के अंत में 49.79 करोड़ शेष रहा।
31 मार्च 2022 तक राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि में 49.79 करोड़ की संपूर्ण शेष राशि बिना निवेश के थी, जो भारत सरकार के उक्त दिशा-निर्देशों का उल्लंघन था। 31 मार्च 2021 तक की 7.88 करोड़ की शेष राशि को भी राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि के तहत राज्य सरकार में निवेश नहीं किया। यदि इस शेष राशि का निवेश किया जाता तो 0.47 करोड़ का ब्याज अर्जित होता। राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि से मिले 1,065.68 करोड़ में से 950.72 करोड़ का व्यय दिशा-निर्देश के विपरीत था। इससे वर्ष 2021-22 के दौरान राज्य का राजस्व घाटा एवं राजकोषीय घाटा प्रभावित हुआ।