इलेक्ट्रिक वाहनों से परिवहन विभाग घाटे से उबरने का प्रयास करेगा। सचिवालय और परिवहन विभाग को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला जाएगा। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) को 1350 करोड़ के घाटे से उबारने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करने की आवश्यकता है। नए बजट में 300 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने और जीरो वैल्यू की एक हजार बसों को अब इलेक्ट्रिक वाहन में ही बदला जाएगा। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री जिनके पास परिवहन विभाग भी है, टाटा की इलेक्ट्रिक कार की टेस्ट ड्राइव के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
घाटे में सभी 3500 रूट
उन्होंने कहा कि एचआरटीसी के सभी 3500 रूट घाटे में हैं और इन्हें घाटे से उबारने के लिए इनके रूट के साथ इलेक्ट्रिक वाहन नीति को अपनाने की जरूरत है। शुरुआती चरण में एचआरटीसी के घाटे को कम करते हुए इसे कम से कम नो प्रोफिट नो लॉस की स्थिति तक लाया जाए। नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति लागू की जा रही है और राज्य सरकार परिवहन क्षेत्र में सुधार की दिशा में कदम बढ़ा रही है। उन्होंने सचिवालय से कुछ दूरी तक इलेक्ट्रिक वाहन में सवारी कर इसके तकनीकी पहलुओं की जानकारी भी प्राप्त की। शुरुआती स्तर पर सचिवालय में इलेक्ट्रिक वाहनों के परिचालन को बढ़ावा दिया जाएगा और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में भी विद्युत चालित वाहनों का उपयोग बढ़ाया जाएगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों का बेड़ा होगा शामिल
परिवहन विभाग में अति शीघ्र इलेक्ट्रिक वाहनों का बेड़ा शामिल किया जाएगा और इसके लिए निदेशक परिवहन को आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं। इसके लिए विभिन्न कंपनियों से संपर्क कर इन विद्युत चालित वाहनों की टेस्ट ड्राइव सहित विभिन्न तकनीकी पहलुओं की जानकारी प्राप्त की जा रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार के समय भी मुख्यमंत्री के लिए एक विद्युत चालित वाहन प्रदान किया गया था, हालांकि इसे बाद में सामान्य प्रशासन को सौंप दिया गया था। इसका इस्तेमाल होगा।
हर दिन एचआरटीसी खरीद रहा डेढ़ करोड़ का डीजल
एचआरटीसी की 3500 रूट पर चलने वाली बसों के लिए हर दिन डेढ़ करोड़ रुपये का डीजल खरीदा जा रहा है। इसके लिए अलग से डिपो चल रहे हैं। इलेक्ट्रिक बसों के चलने से पर्यावरण में सुधार के साथ डीजल पर आने वाले करोड़ों रुपये की बचत होगी। इलेक्ट्रिक कार सामान्य कार से पांच से छह लाख रुपये महंगी इलेक्ट्रिक कार सामान्य डीजल व पेट्रोल कार से पांच से छह लाख रुपये महंगी है। इलेक्ट्रिक कार का एक दिन का खर्च 150 रुपये जबकि सामान्य कार में 150 किलोमीटर का खर्च करीब दो हजार रुपये आता है। इसके साथ सर्विसिंग 15 हजार किलोमीटर के बाद करवानी पड़ती है जिस पर अलग से खर्च आता है।
केंद्र सरकार से भी की जाएगी बातचीत
प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहन के संचालन को बढ़ाने के लिए मंत्रिमंडल में चर्चा के साथ केंद्र सरकार से भी बात की जाएगी। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन नीति के बारे में मुख्यमंत्री से चर्चा के उपरांत मंत्रिमंडल में इस मामले को रखा जाएगा। शुरुआती चरण में सचिवालय सहित प्रदेश के विभिन्न सरकारी संस्थानों तथा प्रदेश से बाहर हिमाचल सदन एवं भवनों इत्यादि में भी यह सुविधा प्रदान की जाएगी। वाहनों की लाइसेंस प्रणाली को सुदृढ़ करते हुए नए ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक स्थापित करने की दिशा में भी उचित कदम उठाए जाएंगे