हिमाचल के शिमला और सोलन
हिमाचल प्रदेश के शिमला और सोलन जिलों की 18 रियासतों के शाही परिवार 23 साल बाद गुठाण में जुटने जा रहे हैं। यहां पर हजारों लोग देवनृत्य के साक्षी बनेंगे। एक साथ 22 देवताओं की पूजा होगी। शिमला के गुठाण में तीन दिन धार्मिक आयोजन होगा। अपनी 400 से ज्यादा जातरों यानी यात्राओं को पूरा करने के बाद शिमला और सोलन जिलों के प्रमुख देवता डोमेश्वर सन्नाटा अपने मंदिर में प्रवेश करेंगे। सदियों से आयोजित किए जा रहे इस उत्सव को बड़ातर कहा जाता है।
19, 20 और 21 मई को होने जा रहे इस भडातर महायज्ञ में 18 ठकुराइयों के शासकों के वंशज जुटने जा रहे हैं। ठकुराइयां छोटी रियासतों को कहा जाता है, जो अंग्रेजी शासनकाल तक इन पहाड़ी क्षेत्रों में प्रभुत्व में थीं। ये रियासतें क्योंथल, दरकोटी, कोटखाई, कुठार सेर (सोलन), घूंड, ठियोग, करांगला, शिला आदि हैं। इनके अलावा डोमेश्वर में मान्यता रखने वाले सात खूंद भी इसमें आएंगे। खूंद तीर-कमान वाला ठोडा खेल खेलने वाले खशिया समुदाय के लोग हैं, जो पाशी और शाठी दो धड़ों में बंटे होते हैं। पाशी पांडव और शाठी कौरव पक्ष के माने जाते हैं। डोमेश्वर गुठाण के रथ में सवार 22 टीकों यानी देवताओं की यहां पूजा होगी।
इनके अलावा डोमेश्वर पुड़ग, शड़ी से माहेश्वरी देवी, नाग देवता बागी, नाग देवता बासा माहोग, हिमरी, नेहरा कोटखाई, नेहरा ठियोग, नमाणा, दवां और रावग के डोमेश्वर देवता भी इस महायज्ञ में शामिल होंगे। सार्वजनिक लंगर की व्यवस्था होगी श्री देवता डोमेश्वर मंदिर समिति गुठाण के प्रधान और कारदार की ओर से इस संबंध में जारी किए गए निमंत्रण पत्र में कहा गया है कि देवता के उत्सव में पूर्ण नशाबंदी रहेगी। बड़ातर उत्सव में भाग लेने वालों को कहा गया है कि वे इस आचरण का पूरी तरह से पालन करें। आयोजन में भाग लेने वाले लोगों के लिए सार्वजनिक लंगर की व्यवस्था होगी