हिमाचल के बागवान
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बजट भाषण में कार्टन पर छूट का कोई जिक्र नहीं किया। हिमाचल के लाखों बागवान 2023-2024 के बजट से उम्मीद लगाए थे, लेकिन उन्हें मायूसी ही हाथ लगी है।
सत्ता में आने से पहले सरकार ने बागवानों के हितों के रक्षा की बात कही थी। हालांकि, सीए स्टोर के निर्माण को लेकर फल उत्पादक थोड़ी राहत जरूरत महसूस कर रहे हैं। अब बागवान यह सवाल उठाने लगे हैं कि उनसे जुड़े अन्य मामले कब सुलझेंगे। पिछली सरकार ने भी बागवानी नीति बनाने की बातें ही कही थीं। अब नई सरकार ने भी नीति बनाने के नाम पर झुनझुना थमाया है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बजट भाषण में कार्टन पर छूट का कोई जिक्र नहीं किया। पिछले साल बागवानों को जीएसटी में थोड़ी राहत देने की बात जरूर कही थी, लेकिन इसका लाभ बागवानों को नहीं मिला था। बागवानों को आस थी कि बजट में कीटनाशकों और फफूंद नाशकों पर सरकार उपदान बढ़ाएगी। यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया। बागवानों से मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत खरीदे सेब के बकाया 84 करोड़ के भुगतान का बजट में कोई जिक्र नहीं किया गय। बागवान लंबे समय से बकाया राशि के भुगतान लिए सरकार से टकटकी लगाए हैं। गुठलीदार फलों की एमआईएस में खरीद के लिए कोई प्रावधान नहीं किया, जबकि प्रदेश में हर साल करीब 500 से 700 करोड़ का कारोबार होता है।
प्रदेश सब्जी एवं फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष और प्रगतिशील बागवान हरीश चौहान कहते हैं कि सेब कार्टन पर जीएसटी नहीं घटाया गया। कीटनाशकों और फफूंद नाशकों में वर्ष 1994 के तहत उपदान दिए जा रहे हैं, जबकि ये दवाएं महंगी हो गई हैं। बागवानी नीति कब बनेगी, कोई जिक्र नहीं किया। गुठलीदार फलों की खरीद की कोई योजना नहीं है। यूनिवर्सल कार्टन लागू करने पर बजट में कोई प्रावधान नहीं है।