हिमाचल की चेरी
हिमाचल की चेरी को पहली बार मंडी में 2000 रुपये बॉक्स का रिकाॅर्ड दाम मिला है। 1,400 ग्राम के दो पैनेट का बाॅक्स मंगलवार सुबह दिल्ली की आजादपुर मंडी में आज तक के रिकाॅर्ड रेट पर बिका। शिमला के बागवान की चेरी को बढ़िया गुणवत्ता और बड़े आकार के चलते खरीदारों ने हाथों हाथ लिया। दिल्ली, गुड़गांव और नोएडा के बड़े माल में फ्रूट सप्लाई करने वाले एजेंसी ने यह चेरी खरीदी। शिमला जिले के कोटगढ़ के कोटीधार निवासी बागवान अशोक चौहान ने मरचेंट किस्म की चेरी की खेप आजादपुर मंडी भेजी थी।
चेरी बॉक्स के भीतर पारदर्शी पैनेट में पैक थी। इसलिए गुणवत्ता साफ दिख रही थी। अशोक चौहान ने बताया कि उन्हें 800 से 1000 रुपये तक रेट की उम्मीद थी, लेकिन 2000 रुपये तो सोचा ही नहीं था। अशोक तीन पीढ़ियों से चेरी उत्पादन कर रहे हैं। आज तक कभी भी चेरी को यह रेट नहीं मिला। उन्होंने बताया कि उनके बगीचे में अभी करीब 400 बॉक्स चेरी बाकी बची है, उम्मीद है उसे भी बढ़िया दाम मिलेगा। स्टोन फ्रूट ग्रोवर्स एसोसिएशन हिमाचल के संयोजक दीपक सिंघा ने बताया कि फसल कम होने और गुणवत्ता बेहतर होने से चेरी को रिकार्ड दाम मिल रहे हैं। चेरी के अलावा रेड ब्यूट प्लम के रेट भी बहुत बढि़या चल रहे हैं।
आजादपुर मंडी दिल्ली की सुंदर दास एंड संस (एसडीएस) बी-184 के संचालक सुनित चौधरी ने बताया कि इस साल चेरी की फसल कम है, मंडी में जो चेरी पहुंच रही है उसकी क्वालिटी अच्छी नहीं है। कोटगढ़ की चेरी का साइज और क्वालिटी बहुत बढ़िया थी। इसीलिए 2000 रुपये बॉक्स रेट मिला है, यह आज तक का रिकाॅर्ड रेट है। हिमाचल में सालाना 300 से 400 मीट्रिक टन चेरी उत्पादन होता है। शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर और लाहौल-स्पीति में चेरी उगाई जाती है। बागवान सेब के विकल्प के तौर पर चेरी लगा रहे हैं। सेब की तुलना में चेरी को अधिक कीमत मिलती है। चेरी को अन्य फलों की अपेक्षा सिंचाई की जरूरत बहुत कम होती है। चेरी के पेड़ पांच साल बाद फल देना शुरू करते हैं और अच्छी देखभाल से 50 साल तक फल देते हैं। एक पेड़ पर औसत 25 किलोग्राम फल पैदा होते हैं। चेरी का सीजन सिर्फ एक माह चलता है इसका लंबे समय तक भंडारण नहीं होता। ड्यूरो नेरा, स्टेला, मरचेंट, फ्रोगमोर अर्ली, ब्लैक हार्ट, बेडफोर्ड चेरी की खास किस्में हैं। चेरी उच्च एंटी ऑक्सीडेंट मूल्यों और पोटाशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम से भरपूर होती है। इसी कारण चेरी की मांग अधिक रहती है।