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मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिप्पा में हिमाचल प्रदेश राज्य प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैंपा) की शासी निकाय की पहली बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023-24 में हिमाचल प्रदेश कैंपा के अंतर्गत प्रदेश के बंजर वन क्षेत्रों के वनीकरण के लिए नई पहल की जाएगी। उन्होंने कहा कि छोटे क्षेत्रों के पौधरोपण के बजाय बंजर पहाड़ियों के वनीकरण के लिए बड़े क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से पौधरोपण किया जाएगा। जलवायु परिस्थितियों के अनुसार पौधे रोपित किए जाएंगे और इस कार्य के लिए समर्पित कर्मचारियों को नियुक्त किया जाएगा जो जिम्मेदार और जवाबदेह तरीके से इनके संरक्षण का कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि हरित राज्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बंजर वन भूमि के वनीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
12 जिलों में 256 हेक्टेयर से अधिक बंजर वन भूमि क्षेत्र चिन्हित
उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी 12 जिलों में 256 हेक्टेयर से अधिक बंजर वन भूमि क्षेत्र को चिन्हित किया गया है और पांच वर्षों के दौरान यहां रोपित पौधों का उचित रखरखाव भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस कार्य के लिए 8.83 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित की गई है। इस अभियान में क्षेत्र के स्थानीय प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी ताकि इसे जन अभियान बनाया जा सके। उन्होंने पौधरोपण के बाद इसकी समुचित निगरानी करने व संबंधित उपमंडलाधिकारियों को निगरानी प्रक्रिया में सम्मिलित करने के निर्देश भी दिए।
हर वन मंडल में एक मॉडल नर्सरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2023-24 में प्रदेश के प्रत्येक वन मंडल में एक मॉडल नर्सरी विकसित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इन सभी 45 नर्सरियों में केंचुआ खाद इकाई, पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस, स्प्रिंकलर, रूट ट्रेनर्स और टिशू कल्चर लैब इत्यादि की सुविधा होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे नर्सरी की अधोसंरचना को सुदृढ़ करने में सहायता मिलेगी। नर्सरी तैयार करने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा और यह देशभर में किए जा रहे नवीन कार्यों को साझा करने के लिए उत्कृष्ट केंद्र साबित होंगे। यह मॉडल नर्सरी प्रदेश की वन्य संपदा के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विस्तार केन्द्रों के रूप में भी कार्य करेंगी।