सियासत कितनी खतरनाक शय है, पता लगाना मुश्किल है । जिस मुकेश अग्निहोत्री को हिमाचल कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेशाध्यक्ष बनने की दौड़ में ठिकाने लगाया था,आज वही मुकेश टॉक ऑफ स्टेट बन गए। खुद को सीएम के सामने खड़ा किया और सीएम के वारों में ही अपने लिए हारों का बंदोबस्त कर लिया। आज रिकांगपिओ में जयराम ठाकुर ने मुकेश पर हमला किया तो मुकेश ने उसे सियासी फूलों का गमला बनाकर कांग्रेस कैडर को महक से लबरेज कर दिया।
बड़े मजे की बात है कि हिमाचल कांग्रेस के किसी भी अन्य बड़े-छोटे नेता को सीएम जयराम ठाकुर अपना सियासी दुश्मन मानने को तैयार ही नहीं हैं। बस मुकेश को निशाने पर लिया हुआ है।यही वजह है कि अब आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को भी यह भरोसा होने शुरू हो गया है कि मुकेश ही उनके क्लेश खत्म करने की ताकत रखते हैं। जाहिर सी बात है कि सूबे का सूबेदार यानि मुख्यमंत्री जिस नेता को अपना दुश्मन नम्बर वन मानेंगे, उसी नेता को उसकी सियासी फौज अपना तगड़ा दमदार सेनापति मानेगी। सबसे बड़ी मजेदार बात यह भी है कि कांग्रेस के बकाया नेताओं में भी यह दर्द उठने शुरू हो गया है कि जयराम ठाकुर अपनी तोप का मुंह उनकी तरफ क्यों नहीं मोड़ रहे ? क्यों मुकेश को ही कांग्रेस का हीरो बनाए जा रहे हैं ? कांग्रेस के उच्च पदस्थ नेता नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहते हैं कि जिस मुकेश का क्लेश खत्म करने के लिए हमने अपने हाईकमान में कामयाबी हासिल की थी,आज भाजपा की वजह से स्टार लीडर बन गया । यह नेता आगे कहते हैं कि हमने जिस रोग को खत्म किया था,उसी रोग के पुनः बलवती होने का योग जयराम ठाकुर ने बना दिया। मुकेश जिस तरह से उभर रहे हैं उसी तरह से वो सम्भावनाएं भी दब रही हैं जिनमें यह आस थी कि अगर भाजपा ने सीएम का चेहरा बदला था, तो कांग्रेस में भी नए समीकरणों के तहत माइनस मुकेश कोई और सीएम बनाते। यह नेता बेबाकी के साथ यह भी कहते हैं कि अगर जयराम ठाकुर इसी तरह से मुकेश-मुकेश करते रहे तो क्लेश कांग्रेस के भीतर ज्यादा ।पड़ेगा। काश जयराम ठाकुर सब पर हमले करते तो कांग्रेस की लीडरशिप पर कम से कम चुनावों तक संशय बना रहता। अब तो कांग्रेस का कैडर ही मुकेश को अपना लीडर मानने शुरू हो गया है।
अब बात करते हैं कि क्या यह किसी तय रणनीति का हिस्सा है कि जयराम सिर्फ और सिर्फ मुकेश को ही निशाना बना रहे हैं ? इस बाबत पॉलिटिकल एक्स्पर्ट्स की राय खासी दिलचस्प है। इनके कयास हैं कि जयराम ठाकुर जानबूझ कर मुकेश को टारगेट कर रहे हैं। वजह गिनवाते हुए यह कहते हैं कि मुकेश को घेर कर कम से कम कांग्रेस के उन स्थापित परिवारों को यह राहत रहेगी जो सियासत में उस तरह का उफान पैदा नहीं कर पा रहे हैं,जिनको खानदानी सियासी रौब-रुतबे की आदत है। ऐसे में यह कांग्रेसी नेता मुकेश को निपटाने में जोर लगाएंगे और भाजपा को सेफ पैसेज इनकी लड़ाई में मिल जाएगा। इसमें कोई दो राय भी नहीं हैं कि यह वही कांग्रेसी नेताओं की जमात है, जिसने मुकेश को नेता विपक्ष ही बनाए रखा था और प्रदेश कांग्रेस की कमान को छूने तक नहीं दिया था।
कोई दो राय नहीं हैं कि अभी तक मुकेश को यह कह कर कमजोर किया जाता रहा है कि वह ब्राह्मण हैं और हिमाचल में सिवाए राजपूत के कोई सीएम फिट नहीं बैठता है। यह भी सियासी जिरहों में बताया गया था कि मुकेश सीमांत और पंजाबी भाषाई जिले ऊना से हैं। पुराना हिमाचल पंजाबी नेता को स्वीकार नहीं करेगा। ऐसे में भाजपा की इस चाल से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि वह मुकेश के साथ भिड़ कर बाकि कांग्रेसी नेताओं को ताक पर रख कर इस ताक में है कि पुनः सत्ता प्राप्ति आराम से हो जाए। आप खुद अंदाजा लगाइए कि वैसे तो प्रदेश भर में कांग्रेसी नेता सियासी खाक खंगाल रहे हैं,पर खबर वही बन रही है जिसमें मुकेश का जिक्र है। सियासत में धूल भरी आंधी मुकेश की हवा से उठ रही है। बाकि नेताओं के नाम पर तो पत्ता भी हिलता हुआ कहीं नजर नहीं आ रहा…