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सलांगड़ी में कालसर्प से बचने को गूंजे सवा लाख मंत्र, चैतड़ू पंचायत के निकट 21 अगस्त तक चलने वाले अनुष्ठान में उमड़े सैकड़ों भक्त

सलांगड़ी

अंतिम दिन चढ़ाए जाएंगे नाग, सुबह-शाम हो रही आरती

बरसात से त्रस्त जिला में शांति के लिए भी चला है अनुष्ठान

हिंदू धर्म में मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प योग बनता है, उन्हें नागपंचमी के दिन नाग चढ़ाने पड़ते हैं। इसके साथ ही विशेष जाप भी करवाना पड़ता है। धर्मशाला, कांगड़ा, शाहपुर क्षेत्रों के भक्तों के इस बारे में किए गए आग्रह पर चैतड़ू के निकट सलांगड़ी गांव में इन दिनों कालसर्प योग को सुधारने की खातिर महानुष्ठान चल रहा है।

कालसर्प और बरसाती आपदा की शांति के लिए हो रहे इस अनुष्ठान में दूर-दूर से आए विद्वान ब्राह्म्ण स्वेच्छा से अपना योगदान दे रहे हैं। सलांगड़ी के वैष्णो देवी मंदिर में यह अनुष्ठान 21 अगस्त तक चलेगा। धर्मशाला,कांगड़ा और शाहपुर क्षेत्र के मध्यबिंदु पर इस तरह का धार्मिक अनुष्ठान पहली बार देखने को मिल रहा है। क्षेत्र मेंअंतिम दिन यज्ञ में पूर्णाहूति के बाद सैकड़ों भक्तजन नागों का जोड़ा चढ़ाएंगे।

मौजूदा समय में इस मंदिर में सुबह-शाम आरती हो रही है। सुबह आठ बजे पूजा के बाद आरती होती है, तो शाम को भी पूजा संग आरती की जा रही है। इस धार्मिक कार्यक्रम की खूबी यह है कि इसमें सभी विद्वान और भक्तजन स्वेच्छा से अपना योगदान दे रहे हैं। ऐसे में यह एक धार्मिक महासमागम बन गया है। यहां सेवाएं दे रहे विद्वानों में पंडित अपराजित, पंकज पंडित, संतोष पंडित, विमुक्त शर्मा आदि प्रमुख हैं।

बरसाती आपदा को शांत करने का प्रयास

पंडित अपराजित, पंकज पंडित, संतोष पंडित, विमुक्त शर्मा ने बताया कि इस बार कांगड़ा जिला में बरसात ने भयंकर तबाही मचाई है। कई लोग खड्डों में बह गए हैं, तो कइयों के घर टूट गए हैं। कई लोग मलबे में दब गए, तो कई जगहों पर जमीन धंसी है। यही नहीं अब इंदौरा और फतेहपुर में पौंग बांध से छोड़े पानी ने कहर बरपा रखा है। यही कारण है कि इस यज्ञ में आपदा को शांत करने के लिए खास तरह का अुनष्ठान किया जा रहा है।

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