संयुक्त किसान मंच
यूनिवर्सल कार्टन लागू करने के लिए संयुक्त किसान मंच ने सात दिन के भीतर सरकार को विधानसभा सत्र में विधेयक लाने का अल्टीमेटम दिया है। ऐसा न होने की स्थिति में एक बार फिर आंदोलन पर उतरने की चेतावनी दी है।
संयुक्त किसान मंच ने रोहड़ू के महेंदली में आयोजित कार्यशाला के बाद बैठक में यूनिवर्सल कार्टन के इस्तेमाल और अन्य समस्याओं के समाधान पर चर्चा की। सभी बागवानों ने एकमत होकर सरकार से मांग की कि इसी विधानसभा सत्र में यूनिवर्सल कार्टन लागू करने के लिए विशेष कानून बनाया जाए। कार्यशाला में क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों-बागवानों सहित करीब 13 घटक संगठनों के करीब 150 लोगों ने भाग लिया। नई सरकार के गठन के बाद पहली बार मंच ने सरकार के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाया है।
बागवानों के मुद्दे पर सरकार गंभीर नहीं
मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान ने बताया कि बीते 17 दिन से प्रदेश सरकार का बजट सत्र चल रहा है, लेकिन बागवानों के मुद्दे पर सरकार गंभीर नहीं है। बागवानी मंत्री सत्र से पहले यूनिवर्सल कार्टन लागू करने को लेकर मुखर थे, लेकिन सत्र में अब तक यूनिवर्सल कार्टन पर कोई चर्चा नहीं हुई। बजट सत्र के सात दिन बाकी हैं। अगर 7 दिन के भीतर इसे लेकर विधेयक लाकर कानून नहीं बनाया गया तो किसानों-बागवानों को लामबंद कर आंदोलन खड़ा किया जाएगा। संजय चौहान ने कहा है कि बागवानी मंत्री ने सत्र शुरू होने से पहले हितधारकों से विचार-विमर्श करने की बात कही थी। 25 मार्च को बागवानी मंत्री सचिवालय में बागवान संगठनों के साथ बैठक कर चुके हैं। इसमें एक मत से यूनिवर्सल कार्टन लागू करने पर सहमति बन चुकी है। बावजूद इसके विधानसभा में विधेयक नहीं लाया गया है।
मंडियों में लूट रोकने को लागू हों तीन कानून
संयुक्त किसान मंच ने मंडियों में किसानों-बागवानों से हो रही लूटखसोट रोकने के लिए तीन कानून लागू करने की मांग उठाई है। एपीएमसी कानून 2005, हिमाचल प्रदेश पैसेंजर एंड गुड्स टैक्सेशन एक्ट 1955, लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 को तुरंत प्रभाव से लागू करने की मांग की है। सरकार के कानून के अनुसार प्रति किलोमीटर प्रति क्विंटल के आधार पर मालभाड़ा तय करने की मांग की है।