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शिक्षा का सच, कॉलेजों में प्राचार्यों के कई पद खाली 

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शिक्षा का सच

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और सरदार पटेल विवि मंडी शैक्षणिक सत्र 2023 से यूजी स्तर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारी कर रहा है। हकीकत यह है कि प्रदेश के 135 कॉलेजों में प्राचार्यों के 100 पद खाली हैं। मार्च में चार पद और खाली हो जाएंगे। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के गृह जिला मुख्यालय के बड़े कॉलेजों तक में प्राचार्य के पद खाली हैं। विवि भले ही पाठ्यक्रम बनाकर तैयार कर लें, लेकिन कॉलेजों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने की तैयारी करने के लिए मुखिया ही नहीं हैं।

साल 2018 से लेकर शिक्षा विभाग में विभागीय पदोन्नति समिति के अनुसार पदोन्नतियां रुकी हुई हैं। प्रदेश की पूर्व में रही भाजपा और वर्तमान कांग्रेस सरकार से राजकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ कई बार कॉलेजों में खाली चल रहे प्राचार्यों के पदों और इससे पेश आ रही मुश्किलों से अवगत करवाकर पदोन्नतियां कर नियमित प्राचार्य तैनाती की मांग उठाता आया है। बावजूद इसके अभी तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है।

यह समस्या सिर्फ कॉलेजों की नहीं है, यह दोनों विश्वविद्यालयों की भी है। प्राचार्य न होने पर और अस्थायी तौर पर लगाए गए प्राचार्यों से कैसे वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने को जून माह तक तैयारियां करवाएगा। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने सात जिलों में जिला मुख्यालयों के प्राचार्यों को अपने जिलों के कॉलेजों के शिक्षकों के लिए कार्यशालाएं करवाकर व्यवस्था करने को कहा जरूर है लेकिन जहां प्राचार्य ही नहीं हैं वहां नीति कैसे लागू होगी।

सिर्फ 34 कॉलेजों में हैं स्थायी प्राचार्य

मौजूदा समय में प्रदेश के 132 और तीन नए खुले कॉलेजों में से 34 में ही स्थायी प्राचार्य हैं। इनमें बिलासुपर, नारला, झंडूता, तीसा, बड़सर, भोरंज, धनेटा, नादौन, सुजानपुर, चौड़ा मैदान शिमला, चायल कोटी, धामी, फाइन आर्ट शिमला, संजौली, ठियोग, बरोटी वाला, दिग्ग्ल, नालागढ़, देहरा, धर्मशाला, पालमपुर, ज्वालाजी, खुडियां, नगरोटा बगंवाच, मटौर, बीएड धर्मशाला, जोगेंद्र नगर, हरीपुर, पनारसा, अंब, बंगाणां, में स्थायी प्राचार्य हैं।

नीति के अनुरूप 2500 और शिक्षकों की रहेगी आवश्यकता : एचजीसीटीए

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने को प्रदेश भर के 135 कॉलेजों में वर्तमान में करीब 1400 शिक्षक सेवारत है, जबकि नीति को लागू करने लिए मल्टी डिस्पिलेनरी, विषयों की च्वॉयस देने के साथ डिग्री को चार साल की किए जाने, कॉलेज में ही शोध कार्य करवाने करीब 2500 और शिक्षकों की आवश्यकता रहेगी। हिमाचल प्रदेश राजकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ के महासचिव डा. राम लाल शर्मा ने कहा कि शिक्षकों की नई भर्ती होने पर ही शिक्ष नीति को यूजी में लागू करना संभव होगा। शिक्षकों पर पहले से काम का अतिरिक्त बोझ है। सरकार ने 539 से अधिक शिक्षकों की भर्ती की प्रकिय्रा शुरू की है, मगर ये भी पर्याप्त नहीं होंगे।

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