शिक्षक के स्थानांतरण
शिक्षक के स्थानांतरण से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय पर मुहर लगा दी है। मंडी जिले के भंगरोटू स्कूल में कार्यरत प्रिंसिपल संजीव कुमार हाईकोर्ट के निर्णय को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। अदालत ने प्रधानाचार्य की अपील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के निर्णय को सही ठहराया। हाईकोर्ट ने तबादला आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि क्लास वन श्रेणी के अधिकारियों पर स्थानांतरण पॉलिसी लागू नहीं होती। 22 फरवरी 2023 को भंगरोटू स्कूल में कार्यरत प्रिंसिपल संजीव कुमार का तबादला शिमला जिले के गिलतारी स्कूल में किया गया था। गिलतारी स्कूल में कार्यरत अरुण कुमार गुलेरिया को भंगरोटू स्कूल में तैनात किया गया था।
याचिकाकर्ता संजीव कुमार ने इन तबादला आदेशों को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। आरोप लगाया था कि उसका तबादला अरुण कुमार गुलेरिया को समायोजित करने के लिए राजनीतिक सिफारिश के आधार पर किया गया है। दलील दी गई थी कि भंगरोटू स्कूल में अभी उसका सामान्य कार्यकाल भी पूरा नहीं हुआ है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि याचिकाकर्ता को 10 मार्च 2022 को कनैड स्कूल से भंगरोटू स्कूल में राजनीतिक सिफारिश पर समायोजित किया गया था। इससे पहले याचिकाकर्ता ने चार वर्ष के कार्यकाल तक कनैड स्कूल में अपनी सेवाएं दीं, जोकि दस किलोमीटर के दायरे में दी है। मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद हाईकोर्ट ने पाया था कि याचिकाकर्ता ने यह तथ्य अदालत से छुपाया है। इसके अतिरिक्त अदालत ने निर्णय दिया था कि कर्मचारी सामान्य कार्यकाल पूरा होने के बाद राजनीतिक सिफारिश की दलील नहीं दे सकता है।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया था। सहारा इंडिया परिवार को अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए 20 हजार का जुर्माना वहीं, अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग शिमला ने 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। आयोग ने सहारा क्रेडिट सहकारी समिति लखनऊ और सहारा इंडिया परिवार संजौली को आरडी और एफडी के पैसे देने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा आयोग ने 10 हजार रुपये मुकदमेबाजी खर्च देने के आदेश दिए गए हैं। आयोग ने सहारा समिति को आरडी और एफडी की राशि को नौ फीसदी के साथ 45 दिन के भीतर अदा करने के आदेश दिए हैं। संजौली निवासी शीला देवी की शिकायत को स्वीकार करते हुए आयोग ने यह आदेश पारित किए। आयोग को शिकायत की गई थी कि उसने सहारा समिति के पास योजना के तहत 6 दिसंबर 2018 को पांच साल के लिए 1,18,781 रुपये की पांच एफडी खोली थी।
योजना यह थी कि 60 माह के बाद हरेक एफडी के 1,39,093 रुपये मिलने थे। 60 माह की अवधि पूर्ण होने पर शिकायतकर्ता ने राशि जारी करने के लिए सहारा समिति से संपर्क किया, लेकिन आज तक उसे कोई भी राशि नहीं दी गई। सहारा क्रेडिट सहकारी समिति के अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए शिकायतकर्ता ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग शिमला में शिकायत की। आयोग के समक्ष सहारा क्रेडिट सहकारी समिति ने दलील दी कि शिकायतकर्ता आयोग के समक्ष समिति के खिलाफ शिकायत नहीं कर सकता है। आयोग ने शीर्ष अदालत के निर्णय का हवाला देते हुए समिति की दलीलों को नकार दिया और शिकायतकर्ता की शिकायत को स्वीकार किया। आयोग ने इस तरह की छह शिकायतों का निपटारा किया और सभी शिकायतकर्ताओं को पैसे वापस देने के आदेश दिए। आयाेग के समक्ष बिशन सिंह, रविंद्र कुमार गुप्ता, शारदा भारद्वाज और रविंद्र भारद्वाज ने शिकायतें दर्ज करवाई थीं।