शहीद अरविंद की पत्नी
अब तिरंगा ही मेरे जीवन का साया होगा। मैं अपना सारा जीवन इस तिरंगे के साए में ही गुजारूंगी। रविवार को शहीद अरविंद की पत्नी बिंदु देवी बलहा के श्मशान घाट पर रोते हुए यह कह रही थीं। उन्होंने कहा कि शहीद पति ने मुझे दुनिया का सबसे महंगा और आखिरी तोहफा दिया है। माता निर्मला देवी भी श्मशानघाट पर बेटे के बचपन की बातें याद कर रही थीं। माहौल इतना गमगीन था कि हर किसी की भी आंख नम थी। इलाके में यह पहला मौका था, जब इतनी संख्या में श्मशानघाट पर औरतों की मौजूदगी रही हो। शहीद अरविंद की अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग पहुंचे थे। पत्नी, माता और गांव की औरतें भी अंतिम यात्रा में शामिल हुईं।
शहीद के ताबूत से तिरंगा हटाया गया और उसे सम्मानपूर्वक पत्नी बिंदु को सौंपा गया तो बिंदु तिरंगे को सीने से लगाकर रोते हुए कह रही थीं कि शहीद अरविंद का यह सबसे महंगा और अंतिम तोहफा है। इसे वह जीवन भर साथ रखेंगी। देश की रक्षा में शहादत किसी को ही नसीब होती है। बिंदु के कंधों पर आई दो नन्हीं बेटियों और बूढ़े सास-ससुर की जिम्मेदारी- शहीद की पत्नी बिंदु देवी को क्या पता था कि उसने पांच साल पहले जिस अरविंद के साथ जीवन भर जीने-मरने की कसमें खाई थीं, वह उससे इस तरह चला जाएगा। पत्नी बिंदु के सामने पहाड़ सी जिंदगी है।
दो नन्हीं बेटियों की परवरिश का भी जिम्मा है। बूढ़े और बीमार सास-ससुर का भी सहारा बनना है। बीते दो दिन से भूखे-प्यासी फफक-फफक कर रोती शहीद की पत्नी और माता ने श्मशानघाट पर मौजूद लोगों को भी बिलखने पर मजबूर कर दिया। आसपास के गांवों की सैकड़ों महिलाएं भी शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल हुईं।