शराब घोटाले
दिल्ली की एक कोर्ट ने शराब घोटाले पर एक आदेश पारित किया है जिसने तथाकथित शराब घोटाले की सच्चाई दुनिया के सामने रख दी है।
बीजेपी ने आरोप लगाया कि शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी वालों ने सौ करोड़ की रिश्वत ली है। CBI और ED ने कोर्ट में ख़ुद कहा है कि इसमें से सत्तर करोड़ की रिश्वत का इनके पास कोई सबूत नहीं है। CBI और ED ने कोर्ट में आगे कहा कि बाक़ी तीस करोड़ रुपये राजेश जोशी नाम का कोई आदमी साउथ से लेकर आया और उसने दिल्ली में आम आदमी पार्टी वालों को दिये। 6 मई के अपने ऑर्डर में कोर्ट ने कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि राजेश जोशी कोई भी पैसा लेकर आया था – तीस करोड़ तो छोड़ो, एक नया पैसा लाने का भी सबूत नहीं है। तो कोर्ट सीधे तौर पर कह रहा है कि ना कोई रिश्वत दी गयी और ना ही ली गयी।
CBI/ED का दूसरा आरोप है कि रिश्वत का सौ करोड़ रुपया गोवा के चुनाव में खर्च हुआ। CBI और ED ने पिछले आठ महीनों में गोवा के हमारे सारे vendors पर रेड मारकर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया है। CBI और ED के मुताबिक़ पूरे गोवा चुनाव में हमारी पार्टी ने सिर्फ़ 19 लाख रुपये कैश खर्च किए। बाक़ी सारी पेमेंट चेक से हुई। क्या इतनी ईमानदार पार्टी दुनिया में मिलेगी जो एक राज्य के चुनाव में सिर्फ़ 19 लाख रुपये कैश खर्च करती है? तो अब CBI और ED ने भी सर्टिफिकेट दे दिया कि आम आदमी पार्टी देश की सबसे ईमानदार पार्टी है।
इसके अलावा पूरा का पूरा केस झूठ पर आधारित है।
ED ने कोर्ट में आरोप लगाया कि मनीष सिसोदिया ने 14 फ़ोन तोड़ दिये। बाद में जाँच करने पर पता चला कि सारे फ़ोन मौजूद हैं और इनमें से पाँच फ़ोन तो CBI और ED के क़ब्ज़े में हैं।
ED ने अपनी एक चार्जशीट में संजय सिंह का नाम भी डाल दिया। जब संजय सिंह ने ED के अफ़सरों पर मुक़दमा करने की धमकी दी तो ED ने कोर्ट में क़बूला कि “गलती” से संजय सिंह का नाम चार्जशीट में डल गया था। क्या ED जैसी कोई एजेंसी गलती से किसी का नाम चार्जशीट में डाल सकती है? अगर ऐसी गलती हुई तो गलती से किसी बीजेपी के नेता का नाम क्यों नहीं डला? साफ़ है कि ऊपर से दबाव के चलते संजय सिंह को फँसाने के लिए फ़र्ज़ी तौर पर नाम डाला गया। क्या ऐसी जाँच पर भरोसा किया जा सकता है?
इस मामले में गवाहों को मार पीटकर और मानसिक तौर पर उत्पीड़न करके ग़लत बयान पर साइन करवाये जा रहे हैं। कम से कम पाँच लोगों ने बयान के कुछ दिन बाद ही ये कहकर बयान वापिस लेने के लिये कोर्ट में अर्ज़ी दी कि उनसे टार्चर करके बयान लिए गए। इनमें से एक व्यक्ति को तो इतना मारा गया कि उसके कान का पर्दा फट गया। उसने ED अधिकारियों के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में शिकायत भी की है। इस से साफ़ ज़ाहिर है कि इनका मक़सद जाँच करना नहीं बल्कि किसी भी तरह से आम आदमी पड़ती के नेताओं को फँसाना है।
दरअसल शराब घोटाले नाम की कोई चीज़ दिल्ली में हुई ही नहीं। ये सारी कहानी मोदी जी के निर्देश पर PMO में लिखी गयी। आज पूरे देश कि जनता अरविंद केजरीवाल जी को एक कट्टर ईमानदार नेता के रूप में देखती है। जिस तरह से आये दिन मोदी जी पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, उस से मोदी जी की छवि दिन ब दिन धूमिल हो रही है। मोदी जी ने ये सारे शराब घोटाले की कहानी केजरीवाल जी की छवि को नुक़सान पहुँचाने के लिए किया। पूरी कहानी लिखने के बाद मोदी जी ने इसे CBI और ED को दे दिया कि अब इस कहानी को साबित करने के लिए झूठे सबूत बनाओ। CBI/ED ने बहुत मेहनत की। लेकिन झूठ तो आख़िर झूठ होता है।
जय हिन्द! जय भारत! सत्यमेव जयते!