वन्य प्राणी विभाग की हरसर में मीटिंग, किसानों का तर्क, किनारों पर बिजाई करने वाले इलाकों मिलता है पशुओं का चारा
किसानों ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से राहत के लिए लगाई गुहार
ब्यूरो जवाली, धर्मशाला
पौंग किनारे जमीन पर खेती पर रोक है, लेकिन किसानों के भी अपने तर्क हैं। कुछ ऐसा ही घटनाक्रम मंगलवार को हरसर में दिखा। दरअसल हरसर में मंगलवार को वन्य प्राणी विभाग ने किसानों व लोगों के साथ मीटिंग की। इस मीटिंग की अध्यक्षता आरओ बनारसी दास ने की अध्यक्षता। आरओ ने जनता को हिदायत दी कि कोई भी व्यक्ति पौंग झील किनारे बिजाई न करे, अन्यथा विभाग बिजाई करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
इस पर लोगों ने भी अपना पक्ष रखा। लोगों व किसानों ने कहा कि हमें पौंग झील किनारे की खाली जमीन पर बीजाई करने की अनुमति दी जाए, ताकि हम बिजाई करके फसल की पैदावार कर सकें। किसानों का तर्क था कि अगर खेती नहीं करेंगे, तो वे खाएंगे क्या और पशुओं को चारे का इंतजाम कैसे होगा। किसानों ने मुख्यमंत्री सखविंद्र सुक्खू सहित अन्य विधायकों से गुहार लगाई है कि पौंग झील किनारे बीजाई करने की परमिशन दिलाई जाए।
हमारी जमीनें पथरीली
किसानों ने कहा कि हमारे इलाका की जमीनें पथरीली हैं तथा इन जमीनों में बिना बारिश फसल की पैदावार नहीं होती है। अगर फसल की पैदावार नहीं होगी, तो पशुओं को चारा भी नहीं मिलेगा। जमीनें बारिश के बिना बंजर हो जाती हैं, जिनमें सिर्फ पत्थर ही पत्थर दिखाई देते हैं।
गेहूं-जौ उगाते हैं फार्मर्ज
किसानों ने कहा कि अधिकतर लोग पौंग झील किनारे गेहूं, जौ, सरसों व बरसीन इत्यादि की बिजाई करते हैं तथा जमीन उपजाऊ होने के कारण फसल की पैदावार भी अच्छी होती है तथा पशुओं के लिए चारा भी मिल जाता है। हरसर, पनालथ, नगरोटा सूरियां, सिद्धाथा, फतेहपुर, धमेटा एरिया में पौंग झील किनारे बीजाई होती है। इन क्षेत्रों में गेहूं की फसल की जितनी ज्यादा पैदावार होती है उतना ही भूसा भी पशुओं के लिए मिलता है। बिजाई न हुई, तो पशुचारे का भी संकट पैदा हो जाएगा।
पौंग झील किनारे की जमीन पर बिजाई करना प्रतिबंधित है तथा फिलहाल इस जमीन पर कोई भी बिजाई न करे। किसी ने प्रतिबंधित जमीन पर बिजाई की तो वन्य प्राणी विभाग को उसके खिलाफ एक्शन लेना पड़ेगा
बनारसी दास, आरओ, वन्य प्राणी विभाग