विद्यालय में विज्ञान
विद्यालय में विज्ञान प्रयोगशाला न होने के बावजूद अब हर विद्यार्थी विज्ञान के विभिन्न प्रयोग कर सकेगा। वह अपनी ही कक्षा में न केवल विज्ञान के प्रेक्टिकल में इस्तेमाल होने उपकरणों की जानकारी ले सकेगा, बल्कि उनका उपयोग करना भी सीखेगा। इससे विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति लगाव पैदा होने में भी मदद मिलेगी। दरअसल, सिरमौर के उच्च विद्यालय बनाहां की सैर में मोबाइल साइंस लैब तैयार की गई है। यह प्रदेश का पहला ऐसा सरकारी स्कूल है, जहां चलती फिरती मोबाइल साइंस लैब बनाई गई है। इसका डिजाइन मुख्य अध्यापक राकेश शर्मा ने खुद तैयार किया है।
इसका निर्माण कारपेंटर से स्कूल में ही करवाया गया। क्या हैं खूबियां मोबाइल साइंस लैब एक तरह से चलती फिरती प्रयोगशाला है। इसमें रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान और गणित के प्रयोग करने के लिए सभी प्रकार की सामग्री उपलब्ध करवाई गई है। चार फीट चौड़ी, दो फीट चौड़ी इस पोर्टेबल लैब की लंबाई छह फीट तक बढ़ाई जा सकती है। इसमें एचडीएचएमआर बोर्ड का इस्तेमाल किया है। इससे यह लैब पानी और आग से पूरी तरह से सुरक्षित है। 18,000 से बनाई गई इस मोबाइल लैब में चार दराज हैं। इसके अलग अलग खानों में रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान और गणित के प्रयोगों में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री रखी गई है।
इसमें प्रिज्म, लैंस, परखनली, स्टैंड, फिल्टर पेपर, स्प्रिटलैंप, कॉरक, बीकर, नापने वाला सिलिंडर, कई प्रकार के रसायन, माइक्रोस्कोप, स्लाइड, लिटमस पेपर, थर्मामीटर, विभिन्न प्रकार की आकृतियां और गणित के खेलें आदि सामग्री शामिल हैं। हर कक्षा तक जाएगी इस मोबाइल साइंस लैब में टायर लगाए गए हैं। इसे हर कक्षा में ले जाया जा सकता है। इससे विद्यार्थियों को अपनी ही कक्षा में विभिन्न प्रयोग करने की सुविधा मिलेगी। प्रयोग के बाद बच्चे इसी में हाथ धो पाएंगे। साइंस लैब का बेहतरीन विकल्प मुख्य अध्यापक राकेश शर्मा ने बताया कि अधिकतर विद्यालयों में विज्ञान प्रयोगशाला नहीं है। विज्ञान की सामग्री अलमीरा में बंद पड़ी रहती है। यह मोबाइल साइंस लैब एक बढि़या विकल्प है। प्रत्येक स्कूल ऐसी मोबाइल साइंस लैब का निर्माण साइंस फंड से कर सकता है।