लोहारली स्कूल
गगरेट शिक्षा खंड के राजकीय प्राथमिक पाठशाला लोहारली में दस सालों से कक्षा के एक कमरे का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। अधूरे निर्माण के कारण कमरा जर्जर हालत में पहुंच गया है लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। वहीं स्कूल में पर्याप्त सुविधाएं और कक्षाएं नहीं होने के कारण स्थानीय लोगों का सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की ओर रुझान खत्म हो गया है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि जितना फंड प्राप्त हुआ, उससे कमरे का कार्य आधा ही हो पाया है। कई बार बजट की मांग करने पर भी राशि जारी नहीं हो पाई है। इस वजह से निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है।
जानकारी के अनुसार राप्रापा लोहरली में साल 2013 में विधायक निधि से एक कमरे का निर्माण कार्य पंचायत के माध्यम से शुरू किया गया। इसके लिए तीन लाख की राशि जारी की गई। लेकिन तीन लाख रुपये खर्च करने के बावजूद एक कमरे का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया। कई सालों से बिना प्लास्टर की दीवारें जर्जर होने लगी हैं। स्कूल में सुविधाओं की कमी के कारण लोहरली स्कूल में पांचवीं तक पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की संख्या केवल 27 रह गई है।
इनमें से केवल दो बच्चे स्थानीय है जबकि शेष प्रवासी परिवारों के हैं, जो कि यहां कामकाज करने के लिए आए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि स्कूल में केवल एक ही अध्यापक है। उसी के जिम्मे पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई है। वहीं विद्यार्थियों के बैठने के लिए भी उचित व्यवस्था नहीं है। इस कारण स्थानीय लोगों ने या तो अपने बच्चों का निजी स्कूलों और आसपास के अन्य सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाया है। लोहारली स्कूल में कमरे के अधूरे निर्माण के कारणों के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। जल्द ही उक्त स्कूल में अध्यापकों की कमी को भी दूर किया जाएगा। इसके लिए एक अध्यापक की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए गए हैं। – देवेंद्र चंदेल, उपनिदेशक, जिला प्रारंभिक शिक्षा विभाग।