रेणुकाजी बांध परियोजना
महत्वाकांक्षी रेणुकाजी बांध परियोजना के निर्माण में पेड़ों की अधूरी गणना बड़ी बाधा बन गई है। बांध प्रबंधन ने पर्यावरण मंजूरी को लेकर पेड़ों की गिनती की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन मात्र दो वन परिक्षेत्रों को छोड़कर अन्य चार परिक्षेत्रों में पेड़ों की गिनती का कार्य अधूरा पड़ा है। इसके कारण पर्यावरण मंजूरी को लेकर बांध प्रबंधन की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है। गौरतलब है कि बांध निर्माण से जुड़ी तमाम औपचारिकताओं को पूरा किया जा चुका है। वन मंत्रालय की अंतिम (फाइनल) मंजूरी को लेकर पेड़ों का गणना कार्य प्रगति पर है। विस्थापितों के विरोध के चलते पेड़ों की गणना तीन माह से प्रभावित है।
बांध की जद में जिले के तीन वन मंडलों सहित वन्य प्राणी विभाग की 675 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है, जिस पर पेड़ों की गणना होनी है। नौहराधार, नारग, राजगढ़ और रेणुकाजी वन परिक्षेत्रों (रेंज) में पेड़ों की गिनती अभी तक पूर्ण नहीं हो सकी है। वर्ष 2015 में मिली प्रारंभिक पर्यावरण मंजूरी के तहत 1,89,448 पेड़ों को शामिल किया गया था। वर्तमान में संख्या बढ़कर दो लाख का आंकड़ा पार कर सकती है। बांध प्रबंधन को 1,100 करोड़ की दूसरी किस्त का इंतजार परियोजना के निर्माण को लेकर बांध प्रबंधन को 1,100 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त मिलने का इंतजार है। इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय की फाइनल स्वीकृति मिलना अनिवार्य है।
लिहाजा बांध प्रबंधन ने पेड़ों की गिनती की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन मई के 18दिन बीतने के बावजूद भी पेडों की गणना कार्य पूरा नहीं हो सका है। जबकि इस प्रक्रिया को 31 मार्च तक पूरा किया जाना था। सूत्रों के मुताबिक जब तक पेड़ों की गणना का कार्य पूर्ण नहीं होता, तब तक बांध निर्माण की ओर कदम नहीं बढ़ाया जा सकेगा। इससे प्रबंधन की चिंता भी बढ़ गई है। वन मंत्रालय की फाइनल स्वीकृति मिलने के बाद ही परियोजना निर्माण की अंतिम किस्त को जारी किया जा सकेगा। पर्यावरण मंजूरी के लिए पेड़ों की गणना जरूरी रेणुकाजी बांध परियोजना के महाप्रबंधक आरके चौधरी ने बताया कि 675 हेक्टेयर वन भूमि पर पेड़ों की गिनती की प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन कुछ स्थानों पर विस्थापितों के विरोध के कारण गणना नहीं हो पाई है। बांध प्रबंधन को दूसरी किस्त का इंतजार है। दूसरी किस्त के मिलने पर ही विस्थापितों को तमाम लाभ दिए जा सकेंगे। इससे पूर्व पर्यावरण मंजूरी के लिए वन भूमि पर पेड़ों की गणना होना जरूरी है।