राजौरी में आतंकियों
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के विकास खंड सुलह के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मरहूं के गांव चट्टियाला के अरविंद कुमार (33) के जम्मू-कश्मीर के राजोरी में शहादत की खबर सुनते ही गांव चीख-पुकार से गूंज उठा। अरविंद की शहादत की खबर उसके परिवार वालों को शुक्रवार दोपहर बाद पता चली। रिश्तेदार व गांव के सैकड़ों लोग अरविंद के परिवारजनों को ढांढस बंधाने पहुंचे गए। अरविंद के भाई भूपेंद्र कुमार ने बताया कि शहीद अरविंद अभी दो महीने पहले ही छूटी काट कर ड्यूटी पर लौटे थे। भाई ने बताया कि उन्हें सेना की ओर से फोन पर बताया गया कि उनके भाई को गोली लगी है ओर वह घायल हैं।
जब वह घर पर आए तो दोबारा फोन आया कि अरविंद आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गए हैं। अरविंद की पूरी रेजिमेंट को कुपवाड़ा से पूंछ बुलाया गया था। अरविंद का पार्थिव शरीर शनिवार दोपहर बाद उनके पैतृक गांव सूरी चट्टियाला पहुंचने की उम्मीद है। शहीद अरविंद कुमार को क्या पता था कि बीते दो माह पहले जिस बेटी का उपचार दिल्ली से चलाया था, वह अधूरा ही रह जाएगा। अरविंद की छोटी बेटी को कुछ समय से नाक में कुछ समस्या थी। इसका दिल्ली के एक निजी अस्पताल से उपचार शुरू करवाया था। बीते दो माह पहले जब वह छुट्टी आए थे तो अरविंद को चिकित्सकों ने ऑपरेशन की सलाह दी थी।
अरविंद छोटी बेटी के नाक का ऑपरेशन करवाना चाहते थे। वह पत्नी बिंदु देवी, पिता उज्ज्वल सिंह और माता निर्मला देवी से यह कह कर गए थे कि अगली छुट्टी में अपनी बेटी के नाक का ऑपरेशन करवाएंगे। इसके बाद बेटी की ठीक हो जाएगी। शहीद अरविंद की दो बेटियां हैं। इनमें शानमिता चार और छोटी बेटी शानविका दो वर्ष की है। अरविंद (33) 2012 में भारतीय सेना की नवमीं पैरा स्पेशल फोर्स में भर्ती हुए थे। वह नाईक के पद पर थे। उनकी शादी सुलह के साथ लगते गांव पनतेहड़ में लगभग पांच साल पहले हुई थी। उनके पिता उज्ज्वल सिंह लोक निर्माण विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं। अरविंद का बड़ा भाई मजदूरी करता है। पंचायत मरहूं के उपप्रधान चंद्र किशोर ने बताया कि अरविंद बचपन से ही बहुत होनहार और मिलनसार थे। बीती छुट्टी में भी उनसे मिले थे। छोटी बेटी की नाक की बीमारी को लेकर बातचीत की थी।