मंडी। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव 2023 का आगाज राजमाधव की पहली शाही जलेब के साथ शुरू हो गया है। पहली जलेब में जहां पूरे शानौशौकत से राजदेवता राजमाधव पालकी में सवार होकर निकले। वहीं उनके आगे और पीछे चलते हुए 27 देवी देवता और हजारों देवलू नाचते गाते हुए शामिल हुए। रविवार का दिन होने के बाद भी शाही जलेब को देखने के लिए हजारों की तादाद में लोग उमड़े। साल के पहले देवकुंभ पर छोटी काशी मंडी आस्था के सैलाब की गवाह बनी और हर कोई देवी देवताओं के आगे नतमस्तक नजर आया।
प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राजदेवता माधोराय के मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद रियासतकाल से निकलने वाली इस शाही जलेब में शिरकत की। वह पैदल जलेब में चले और लोगों से मिलते हुए अभिनंदन स्वीकार किया। इससे पहले उपायुक्त कार्यालय प्रांगण में मुख्यमंत्री और अन्य मेहमानों को पंगड़ी बांधने की रस्म अदा की गई। मुख्यमंत्री ने पड्डल मैदान में ध्वजारोहण कर एक सप्ताह तक चलने वालने मेलों का विधिवत शुभारंभ किया। इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद प्रतिभा सिंह भी मुख्यमंत्री के साथ उपस्थित रही। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जलेब में शामिल होते हुए लोगों का अभिनंदन भी स्वीकार किया।
पडडल मैदान में शिवरात्रि महोत्सव के मंच पर मेला कमेटी के अध्यक्ष उपायुक्त मंडी अरिंदम ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह, शाल और हिमाचली टोपी भेंटकर उनका स्वागत किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने शिवरात्रि स्मारिका का भी लोकार्पण किया। उत्तरी भारत में भव्य देव समागम के लिए विख्यात मंडी शिवरात्रि मेला अब 25 फरवरी तक जारी रहेगा और राज्यपाल 25 फरवरी को चौहटे की जातर व अंतिम जलेब के बाद अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का समापन करेंगे।
ऐसा रहा जलेब का नजारा
माधोराय की जलेब को देखने के लिए न सिर्फ भीड़ उमड़ी, बल्कि अथाह जनसमूह श्रद्धा और विश्वास में डूबा नजर आया। रियासत काल से चली आ रही परंपरा के तहत जलेब में सबसे आगे पुलिस के घुड़ सवार पुलिस और होमगार्ड बैंड, पुलिस के जवान, होमगार्डस की टुकडिय़ों के साथ-साथ सांस्कृतिक छटा बिखेरते सांस्कृतिक दलों ने भी राजदेवता की जलेब में शिरकत की।
शिवरात्रि महोत्सव के दौरान निकलने वाली माधोराय की जलेब में बालीचौकी क्षेत्र के देवता छानणू. झमाहूं की जोड़ी ढोल नगाड़ों की लय पर झूमते हुए सबसे आगे चल रही थी। इसके पश्चात देव कोटलू नारायण, देव सरोली मार्कंडेय, देव शैटी नाग, देवी डाहर की अंबिका, देव विष्णू मतलोड़ा, देव मगरू महादेव, देव चपलांदू नाग, श्रीदेव बायला नारायण, देव बिटठु नारायण, देव लक्ष्मीनारायण पखरोल, चौहारघाटी के देव हुरंग नारायण, देव घड़ौनी नारायण, देव पशाकोट नारायण, देव पेखरू का गहरी, देव चुंजवाला शिव, देव तुंगासी ब्रम्हा, देवी सरस्वती महामाया, देवी नाऊ अंबिका के बाद राज माधव की चांदी की कुर्सी और उसके पीछे राजदेवता की पालकी चल रही थी। जबकि राजदेवता माधोराय की पालकी के पीछे देव शुकदेव डगाहंढु, देव शुकदेव मड़घयाल, देव जलौणी गणपति, देव शेषनाग टेपर, देव झाथीवीर और देव टूंडीवीर शामिल रहे।
शिवरात्रि महोत्सव के लिए पहुंचे अढ़ाई सौ से अधिक देवी-देवता
शिवरात्रि महोत्सव के लिए अढ़ाई सौ से अधिक देवी देवता पहुंच गए हैं। प्रशासन द्वारा 216 पंजीकृत देवी देवताओं को शिवरात्रि महोत्सव के लिए बुलाया गया है। जिसमें पहले दिन तक 175 के करीब देवी देवता पहुंचे। जबकि इसके अलावा भी बड़ी संख्या में अन्य देवी देवताओं का आगमन शिवरात्रि महोत्सव में हुआ है। छोटी काशी मंडी स्वर्ग जैसी बनी हुई है और पूरा शहर सुबह शाम देवध्वनियों से गूंज रहा है।