कार्तिक स्वामी के चेले की अगुवाई में संचूई के शिव चेलों ने मणिमहेश में डलझील को पार किया। इसके बाद हजारों श्रद्धालुओं ने डलझील में आस्था की डुबकी लगाई। शुक्रवार दोपहर बाद 2:00 बजे डल झील की परिक्रमा करने के बाद शिव चेलों ने डल झील को तोड़ा।
यह नजारा देखने के लिए डलझील के चारों ओर शिव भक्त नजर आए। शिव चेलों ने डलझील में प्रवेश किया तो कई श्रद्धालुओं ने उन्हें अपने कंधों पर उठा लिया और डल को पार करवाया। पूरा कैलाश पर्वत हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा। भाद्रपद की शुक्ल सप्तमी को शिव चेले डल झील को तोड़ते हैं। इस बार यह तिथि शुक्रवार दोपहर 1:52 बजे से शनिवार सुबह 12:29 तक रहेगी। उसके बाद राधाष्टमी का शुभ मुहूर्त शुरू होगा। कार्तिक स्वामी , दशानामी अखाड़ा और संचूई के शिव चेले एक साथ डलझील में दिखे।
शुक्रवार को रात्रि विश्राम डलझील में करेंगे। शनिवार को भरमौर के लिए प्रस्थान करेंगे। दो साल कोविड की वजह से श्रद्धालु यह नजारा नहीं देख पाए थे। इस बार हजारों श्रद्धालु मणिमहेश पहुंचे थे। आज दोपहर 12:29 पर शुरू होगा बड़े स्नान का शुभ मुहूर्त पवित्र मणिमहेश का शाही स्नान (न्हौण) राधाष्टमी पर शनिवार दोपहर 12:29 बजे शुरू होगा।
यह रविवार सुबह 10:41 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि राधाष्टमी का मुहूर्त शुरू होते ही डल झील में पानी का जलस्तर बढ़ने लगता है और देखते ही देेखते डलझील पानी से भर जाती है।
राधाष्टमी का शुभ मुहूर्त समाप्त होने पर डलझील का पानी भी कम होना शुरू हो जाता है। मान्यता है कि राधाष्टमी के दिन पवित्र कैलाश पर ब्रह्म मुहूर्त में अलौकिक मणि के दर्शन होते है |