मंत्रिमंडल का फैसला
हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने सोमवार को आगामी विधानसभा बजट सत्र में हिमाचल प्रदेश जल उपकर जलविद्युत उत्पादन विधेयक, 2023 पेश करने की मंजूरी दी है। हिमाचल प्रदेश जल उपकर लागू करने का भी निर्णय लिया है। यह वाटर सेस 10 मार्च से वसूला जाएगा। सरकार ने इससे पहले हिमाचल प्रदेश जल उपकर जलविद्युत उत्पादन अध्यादेश, 2023 लाया है। विधानसभा के बजट सत्र में यह विधेयक लाया जाएगा।इसके लागू होने से सरकार को हर साल 1,000 करोड़ की आय होगी। सरकार प्रति घनमीटर 0.10 रुपये से 0.50 रुपये प्रति घनमीटर तक वाटर सेस वसूलेगी। यह सेस वसूलने के लिए सरकार एक आयोग बनाएगी। इसमें अध्यक्ष सहित कुल चार सदस्य रखे जाएंगे।
आयोग के ये सदस्य प्रशासनिक, लीगल और अनुभव के आधार पर नियुक्त किए जाएंगे। आर्थिक तंगी से जूझ रही हिमाचल सरकार ने राजस्व बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है। सरकार ने प्रदेश में पन बिजली उत्पादन पर वाटर सेस लागू करने के लिए बजट सत्र में हिमाचल प्रदेश जल उपकर जलविद्युत उत्पादन विधेयक, 2023 पेश करने की मंजूरी दे दी है। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर राजस्व जुटाने के लिए प्रदेश सरकार ने बिजली उत्पादन पर पानी का सेस लगाने का फैसला लिया है। प्रदेश में छोटी-बड़ी करीब 175 पनबिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस से सरकार के खजाने में हर साल करीब 1000 करोड़ रुपये जमा होंगे। सरकार वाटर सेस लगाने के लिए पहले ही एक अध्यादेश ला चुकी है। अब विधानसभा के बजट सत्र में बिल लाकर इसका कानून बनाया जाएगा।
यूं वसूूलेंगे वाटर सेस
1. 30 मीटर तक हेड की पनबिजली परियोजना 0.10 प्रति घन मीटर
2्. 30 से 60 मीटर तक हेड की पनबिजली परियोजना 0.25 प्रति घन मीटर
3. 60 से 90 मीटर तक हेड की पनबिजली परियोजना 0.35 प्रति घन मीटर
4. 90 मीटर से अधिक हेड की पनबिजली परियोजना 0.50 प्रति घन मीटर
एचआरटीसी की 15 साल पुरानी 400 बसें बेड़े से हटेंगी
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की 15 साल पुरानी 400 बसें बेड़े से हटेंगी। इनके स्थान पर सरकार डीजल बसें लेगी या फिर इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जानी हैं। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि यह प्रस्ताव निगम की तरफ से सरकार के पास भेजा जाएगा। इस पर प्रदेश मंत्रिमंडल अंतिम फैसला लेगा। पुरानी बसें 31 मार्च से पहले बेड़े से हटाई जानी हैं।