फोरलेन की पांच
किरतपुर-नेरचौक फोरलेन की सभी सुरंगें सुरक्षा के लिहाज से आधुनिक होंगी। फोरलेन की पांच में से चार सुरंगों में धुएं, गैसों की मात्रा और दृश्यता बताने वाले सेंसर लेगेंगे। सभी सुरंगों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए एग्जॉस्ट फैन लगाए गए हैं। इनके भीतर टेलीफोन की व्यवस्था होगी, ताकि आपात स्थिति में संपर्क स्थापित किया जा सके। हर 60 मीटर की दूरी पर अग्निशमन यंत्र लगाए जाएंगे। निश्चित दूरी पर सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था भी होगी। फोरलेन में चार सुरंगों की लंबाई 500 मीटर से अधिक है।
नियमानुसार इतनी लंबी सुरंगों में कार्बन, नाइट्रोजन गैस और ऑक्सीजन की रियल टाइम मॉनीटरिंग के लिए सेंसर मीटर लगाए जाएंगे। इसका रियल टाइम अपडेट नियंत्रण कक्ष को मिलता रहेगा। ये नियंत्रण कक्ष फोरलेन की सबसे लंबी कैंचीमोड़ सुरंग के दोनो छोर पर स्थापित होंगे। वहीं, सुरंगों में वाहनों का धुआं ज्यादा होने पर इसे बाहर निकालने के लिए बड़े साइज के एग्जॉस्ट फैन लगाए गए हैं। इसके अलावा स्मोक सेंसर भी लगाए जाएंगे। इन सेंसर से गाड़ी में आग लगने या फिर किसी अन्य कारण से आग लगने की घटना होने पर तत्काल सूचना मिल जाएगी। बता दें कि किरतपुर-नेरचौक फोरलेन में पांच सुरंग बनाई गईं हैं।
टनल नंबर-1 स्वारघाट के कैंची मोड़ जगह पर बनाई गई है। यह परियोजना की 1,800 मीटर सबसे लंबी सुरंग है। सुरंग नंबर-3 तुन्नू में है, जिसकी लंबाई 550 मीटर है। सुरंग नंबर-4 टीहरा में है, जिसकी लंबाई 1,265 मीटर है। सुरंग नंबर-5 भवाणा सुंदरनगर में है, जिसकी लंबाई 740 मीटर है। फोरलेन की सबसे छोटी 465 मीटर लंबी सुरंग नंबर-2 बाघछाल में है। एक महीने बाद खत्म होगा 11 साल का इंतजार साल 2012 में फोरलेन का काम शुरू हुआ था। करीब 11 साल से फोरलेन निर्माण कार्य पूरा होने का इंतजार है। यह इंतजार एक महीने के भीतर खत्म होने जा रहा है। फोरलेन का निर्माण कर रही कंपनी के अधिकारियों के अनुसार 10 जून तक फोरलेन को यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। हालांकि इसे पहले 15 मई तक शुरू करने का समय तय किया गया था, लेकिन लगातार बारिश होने से काम में देरी हो रही है। अभी फोरलेन पर सुरंग नंबर-2 और एक के बीच पुल बनाने का काम किया जा रहा। बाकी फोरलेन का काम लगभग पूरा हो चुका है।