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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शहरी विकास विभाग के सचिव की कार्यप्रणाली पर लगाई कड़ी फटकार 

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शहरी विकास विभाग के सचिव की कार्यप्रणाली पर कड़ी फटकार लगाई है। ट्रिब्यूनल ने सचिव को हमीरपुर के दुगनेड़ी में ट्रीटमेंट प्लांट पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए थे। साथ ही अदालत ने ट्रिब्यूनल के समक्ष सचिव की उपस्थिति अपेक्षित की थी। सचिव ने इस मामले में न तो जवाब दायर किया और न ही अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। अदालत ने इस लापरवाही के लिए सचिव को चेताया कि अधिकारी की ओर से इस तरह की उपेक्षा की शायद ही सराहना की जा सकती है।

ट्रिब्यूनल ने कहा कि संबंधित अधिकारी की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए वारंट जारी करने सहित कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। पीठ ने कहा कि ट्रिब्यूनल के आदेशों की अनुपालना न करना दंडनीय अपराध है जिसके लिए जेल भी हो सकती है। सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने पाया कि इस मामले में 16 जनवरी 2023, 28 फरवरी और 15 मार्च 2023 को सुनवाई हुई। 16 मार्च 2023 को इस मामले को हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव के ध्यान में भी लाया गया।

लेकिन इस मामले में शहरी विकास विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया और न ही एनजीटी के सामने पेश हुए, जोकि एक गंभीर लापरवाही का मामला प्रतीत होता है। एनजीटी ने अधिनियम की धारा 26 के तहत आदेशों की अवहेलना को एक गंभीर अपराध माना है। नगर परिषद हमीरपुर ने गांव दुगनेड़ी में अपना तरल एवं ठोस कचरा संयंत्र स्थापित किया है।

लेकिन इस कूड़ा संयंत्र का उचित रखरखाव न होने के कारण आसपास के आधा दर्जन से अधिक गांव के सैकड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं। कूड़ा संयंत्र परिसर में आवारा कुत्ते मुंह मारते हैं और चील व कौवे के कारण गंदगी फैल रही है। कूड़े को खुले में जलाने से वायु प्रदूषण फैल रहा है। जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। स्थानीय स्तर पर शिकायत के बावजूद जब कोई समाधान नहीं मिला तो ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय हरित अधिकरण में की गई।

वायु प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण अधिनियम 1981, जल प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण अधिनियम 1974 के तहत इस मामले की प्रविष्टि हुई है। एनजीटी ने इस प्रदूषण के कारण करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक का अनुमानित पर्यावरण नुकसान पाया है। सर्वोच्च न्यायालय के 2 सितंबर 2014 को आए एक फैसले के आधार पर एनजीटी ने ठोस एवं तरल कूड़ा प्रबंधन को लेकर इस सारे मामले का अवलोकन किया। अब एनजीटी ने संबंधित अधिकारी को 21 जुलाई 2023 को आखिरी बार नोटिस का जवाब देने का अवसर प्रदान किया है।

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