नियमों के विपरीत
प्रदेश हाईकोर्ट ने नियमों के विपरीत ए.सी.आर. लिखने वाले प्रिंसीपल के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने प्रार्थी हरमोहिनी द्वारा ए.सी.पी. स्कीम का लाभ पाने के लिए दायर याचिका को स्वीकारते हुए यह आदेश जारी किए।
मामले के अनुसार प्रार्थी की नियुक्ति 1997 में अनुबंध आधार पर बतौर ड्राइंग मास्टर हुई थी। उसकी सेवाएं 15 जनवरी 2003 को नियमित की गई और 30 जुलाई 2013 को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बड़ोह जिला कांगड़ा से सेवानिवृत्त हो गई थी।
प्रार्थी ने ए.सी.पी. स्कीम का लाभ देने की गुहार लगाई जिसे डिप्टी डायरैक्टर एलीमैंटरी एजुकेशन ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि प्रार्थी की 2006 2011 तक की ए.सी. आर. (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) ठीक नहीं है। प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 2006 से 2011 तक की ए.सी. आर. को विवादित बताते हुए
कोर्ट के समक्ष रखा। कोर्ट ने पाया की प्रार्थी की सभी विवादित ए.सी.आर. तत्कालीन प्रिंसीपल विजय प्रकाश अवस्थी द्वारा एक साथ लिखी है।
विवादित ए. सी. आर. को रिवीविंग अथॉरिटी और एक्सेप्टिंग अथॉरिटी ने अपना अनुमोदन भी नहीं किया था। ए. सी. आर. में लगाए आरोपों से प्रार्थी को अवगत भी नहीं करवाया गया। कोर्ट ने ए.सी.आर. के संबंध में कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि कर्मचारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट रहा है। हर वर्ष लिखी जानी चाहिए। विपरीत एंट्री वाली ए.सी.आर. संबंधित सड़क का जिक्र त्रि कर्मचारी को समय पर दी जानी चाहिए थे तो उन्होंने मात्र ग ताकि वह अपने कार्यों में सुधार ला सके। रिवीविंग अथॉरिटी और एक्सेप्टिंग अथॉरिटी का अनुमोदन भी जरूरी तौर पर होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोर्ट ने विवादित ए.सी.आर. में उपरोक्त सभी खामियों को पाते हुए शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वह विवादित ए. सी. आर. को नजरंदाज करते हुए प्रार्थी को ए.सी.पी. स्कीम का लाभ 4 सप्ताह के भीतर दें।