कोरोना ने जब कमाई से सारे द्वार बंद कर दिए थे,तो हर किसी के काम खेती ही आई। कुछ ऐसी ही कहानी है एक हिमाचली किसान की, जिसकी कोरोना में प्राइवेट नौकरी चली गई, तो खेती ने उसे मालामाल कर दिया। इस किान का नाम है बिहारी लाल। बिहारी लाल कांगड़ा जिला के तहत नगरोटा बगवां हलके की सद्दूं बरग्रां के रहने वाले हैं। यह इलाका चंगर क्षेत्र में आता है। वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। इसी बीच कोरोना में उनकी नौकरी चली जाने से घर सद्दूं बरग्रां आ गए। उनके पास 50 कनाल जमीन थी,लेकिन उसे सिंचाई नहीं मिल पाती थी। ऐसे में बिहारी लाल ने कृषि विभाग नगरोटा बगवां से संपर्क किया और जमीन पर बोरवेल लगवा लिया। विभाग ने उन्हें इसपर एक लाख रुपए अनुदान भी दिया। बस फिर क्या था। बिहारी लाल ने 10 कनाल पर सब्जी उगा दी, वहीं पांच कनाल पर चारा उगाया। इसके अलावा दस कनाल के एक टुकड़े पर अनाज उगाना शुरू कर दिया तथा बाकी जमीन पर भी कुछ न कुछ उगा रहे हैं। काम आगे बढ़ा तो बिहारी लाल ने विभाग से पोलीहाउस और साहिवाल गाय भी मंजूर करवा लिए। इस पर बिहारी लाल को क्रमश: एक लाख चौबीस हजार व 25 हजार रुपए अनुदान मिला। बिहारी लाल ने बताया कि अब उनकी सालाना आय तीन लाख है, यानी एक महीने की 25 हजार औसत इनकम है। फिलहाल बिहारी लाल ने चंगर समेत पूरे प्रदेश के किसानों के लिए मिसाल कायम कर दी है। दूर दूर से किसान उनके पास खेती के आइडिया पाने के लिए पहुंच रहे हैं।
क्या कहती हैं विषयबाद विशेषज्ञ
नगरोटा बगवां से कृषि विभाग की एसएमएस अनीता शर्मा कहती हैं कि यह मिश्रित खेती का अनूठा उदाहरण है। किसानों को विभाग की योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। बहरहाल अब चंगर की जमीनें भी कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर पलम जमीनों जैसा अनाज उगा रही हैं।
बयान
किसानों को कृषि विभाग द्वारा दी गई सबसिडी का फायदा उठाना चाहिए। विभाग की योजनाओं का फायदा उठाने के लिए नजदीकी कृषि आफिस में संपर्क करें। प्राकृतिक खेती भी जरूर अपनाएं
राहुल कटोच, डिप्टी डायरेक्टर, कृषि विभाग